LADY SINGHAM

इंदौर। महात्मा गांधी मेमोरियल (MGM) मेडिकल कालेज में रैंगिंग की जांच करने के दौरान जब कोई सुराग हाथ नहीं लगा तो पुलिस ने इसके लिए एक अलग तरीका अपनाया। एक महिला पुलिसकर्मी ने छात्रा का भेष बनाया और पहुंच गई मेडिकल कॉलेज। यहां वो अन्य छात्र-छात्राओं के साथ इस कदर घुल गई कि किसी को जरा भी शक नहीं हुआ कि वो एक पुलिसकर्मी है। छात्रा बनकर रह रही इस लड़की ने अंडरकवर एजेंट की तरह काम किया और फिर मध्य प्रदेश के एक मशहूर कॉलेज में रैगिंग के गंदे खेल का पर्दाफाश कर दिया।

स्टूडेंट्स से दोस्ती की और सीनियर्स के नाम उजागर

महिला पुलिसकर्मी शालिनी चौहान को मेडिकल कालेज में फ्रैशर स्टूडेंट बनाकर भेजा गया। शालिनी रोज कैंटीन में जाती और वहां मौजूद दूसरे स्टूडेंट से बातचीत करते हुए रैंगिंग के बारे में बात करतीं, धीरे-धीरे उन्होंने उन सभी सीनियर्स के नाम पता कर लिए जो इसमें शामिल हैं। इसके बाद 6 डाक्टरों को गिरफ्तार कर लिया गया। इन सभी पर जूनियर की रैगिंग और तरह-तरह से परेशान करने का आरोप है। आरोपित डाक्टरों ने पीड़ित छात्रों से समझौता कर लिया था। इसी वजह से इनके नाम पता करने के लिए पुलिस ने यह तरीका अपनाना पड़ा। बताया जा रहा है कि शालिनी करीब 2 महीने तक एमजीएम कॉलेज में रहीं।

शालिनी के पिता भी थे पुलिस में

संयोगितागंज थाने में तैनात शालिनी चौहान के पिता भी पुलिसकर्मी थे, 2010 में उनका निधन हो गया था। पिता से प्ररेणा लेकर ही शालिनी पुलिस फोर्स में भर्ती हुईं। वैसे वे कामर्स में ग्रेजुएट हैं, लेकिन इस केस की जांच करने के लिए वो जींस-टाप पहनकर बैग में किताबें रखकर खुद को फ्रेशन स्टूडेंट बतातीं। वो रोज कैंटीन में 5 से 6 घंटे का वक्त बिताती और वहां मौजूद लोगों से बात करती रहती थीं।

गोपनीय शिकायत पर की कार्रवाई

संयोगितागंज TI तहजीब काजी के मुताबिक, मेडिकल छात्रों ने यूजीसी को गोपनीय शिकायत भेजी थी। पुलिस ने 24 जुलाई को अज्ञात आरोपितों पर छह धाराओं में आपराधिक प्रकरण दर्ज कर लिया था। जूनियर छात्रों के कथन लिए तो रैगिंग से मुकर गए। पुलिस ने गोपनीय जानकारी जुटाई तो पता चला कि आरोपित वर्ष 2020-21 के सीनियर छात्र हैं। FIR की भनक लगते ही उन्होंने पीड़ित छात्रों पर दबाव बना दिया। टीम ने सादे कपड़ों में कैंटीन और होस्टल के आसपास बैठक शुरू की। छात्रों से दोस्ती कर होस्टल में होने वाले क्रियाकलापों के बारे में पूछा तो बताया कि रैगिंग की घटना सही है। इसके बाद उन छात्रों को चिन्हित किया जिनके साथ घटना हुई थी। तीन छात्र तो मुकर गए, लेकिन दो ने पूरा घटनाक्रम बता दिया।

सीनियरों को पकड़ने डाटा किया एकत्र

इसके बाद पुलिस ने लालाराम नगर और गीता भवन क्षेत्र में किराए से फ्लैट में रहने वाले सीनियर छात्रों का डाटा एकत्र किया। गार्ड और रहवासियों से आने-जाने वालों के बारे में पूछताछ की। पुलिस ने सुबूत एकत्र कर शुभांकर पुत्र विकासचंद्र मिश्रा (पश्चिम बंगाल), प्रियम पुत्र प्रमोद त्रिपाठी (भोपाल), देववृत पुत्र राजेश गुप्ता (दतिया), राहुल पुत्र सत्यनारायण पटेल (छिंदवाड़ा), शैलेष पुत्र हरिचरण शर्मा (उज्जैन) और चेतन पुत्र राकेश वर्मा (उज्जैन) को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, जमानती जुर्म होने पर एसआइ सत्यजीतसिंह चौहान ने थाने से जमानत पर रिहा कर दिया। TI के मुताबिक, चार आरोपित ऋषिराज, उज्जवल पांडे, रौनक पाटीदार और प्रभातसिंह अभी फरार हैं।

गूगल लोकेशन भेज निजी फ्लैट पर बुलाते थे

छात्रों ने सीधे यूजीसी को शिकायत भेजी थी। ई-मेल कर बताया कि आरोपित सीनियर छात्र उन्हें गूगल लोकेशन भेज कर फ्लैट पर बुलाते हैं। आपत्तिजनक सामग्री पर छात्राओं के नाम लिखवाते हैं। प्रतिदिन शेविंग करने का बोलते हैं। बात करते वक्त वे पलकें भी ऊपर नहीं उठा सकते। जूनियर छात्रों पर तकिये के साथ वक्त गुजारने का दबाव बनाया जाता है।

11 छात्रों को किया गया SUSPEND

जांच में पता चला कि आरोपी सीनियर छात्रों ने जूनियर छात्रों की रैगिंग की है। इन छात्रों से अश्लील कार्य करवाए गए। इस मामले में अब सीरआपीसी की धारा के तहत छात्रों को नोटिस भेजा गया और कहा गया है कि वो जांच में सहयोग करें। छात्रों से यह भी कहा गया है कि जब कोर्ट में चार्जशीट दाखिल होगा तब वो अदालत में हाजिर रहें। 11 छात्रों की सूची मिलने के बाद कॉलेज प्रबंधन ने इन आरोपी छात्रों को तीन महीने के लिए सस्पेंड कर दिया है।

यूजीसी ने करवाई FIR

यूजीसी ने मामले को गंभीरता से लिया और सीधे FIR करवा दी। छात्रों के कथन लिए तो कुछ ने कहा रैगिंग के वक्त उनकी नजरें झुकी हुई थीं, इसलिए वे किसी का नाम नहीं बता सकते। पुलिस को आरोपितों तक पहुंचने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ी। टीआइ के मुताबिक, आरोपितों को जैसे ही नामजद करने की जानकारी मिली, पुलिस पर दबाव आना शुरू हो गया।

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