बिहार में जहरीली शराब पिने से अब तक 70 लोगो की जान जा चूकि है। मंगलवार को शुरू हुआ मौत का सिलसिला शनिवार को भी जारी है। इतनी संख्या में लोगों की मौत के बाद सवाल बहुत से सवाल उठ रहे है। दरअसल जहरीली शराब पीने के बाद जब लोग बीमार पड़े तो पुलिस, जुर्माने और मुकदमे के डर से लोग अस्पताल नहीं गए। वहीं घर में ही देशी इलाज शुरू कर दिया। उल्टी कराने के लिए नमक और साबुन का घोल पिलाया गया। जब इससे भी बात नहीं बनी तो झोला छाप डॉक्टर की शरण में गए।

जब लगा की घर में सही नहीं हो पाएंगे और झोला छाप डॉक्टर ने हाथ खड़े कर दिए तब अस्पताल की तरफ दौड़े, लेकिन तब तक मामला ज्यादा बिगड़ चुका था। मरीजों की सांसे फूलने लगी थी। आखों की रौशनी जाने लगी थी। तब लोगों को लगा कि जुर्माने और केस मुकदमे से ज्यादा जरूरी अभी इलाज कराना है। चूकि सबसे ज्यादा मामला छपरा के मशरख में था तो मरीज सबसे ज्यादा यहां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचे।

जानकारी के अनुसार 70 लोगों की मौत के अलावा 30 से अधिक लोगों का उपचार सरकारी अस्पताल व निजी क्लीनिकों में चल रहा है। इस मामले में मशरक और इसुआपुर में एफआईआर दर्ज की गई है और जांच के लिए बनाई गई एसआईटी ने सात बड़े तस्करों को गिरफ्तार किया है। यह हैरानी की बात है कि बिहार में साल 2016 से शराबबंदी लागू है और उसके बाद भी लगातार जहरीली शराब बिक रही है और इसे पीने वालों की लगातार मौत भी हो रही है।

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