रायपुर। आरक्षण विधेयक को लेकर छत्तीसगढ़ में घमासान मचा हुआ है। इस बीच कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने बड़ा आरोप लगाया है। उनका कहना है कि राज्यपाल अनुसूईया उइके भाजपा के दबाव में आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं कर रही हैं।

उन्होंने यह भी कहा है कि भाजपा के लोग संविधान बदलना चाहते हैं। कमजोर वर्गों को आरक्षण नहीं देना चाहते। यह BJP-भारतीय जनता पार्टी और RSS-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हिडेन एजेंडा है। प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने आगे कहा कि महामहिम राज्यपाल ने ही सरकार को चिट्ठी लिखकर सत्र बुलाने कहा था। उनकी मंशा के अनुरूप सरकार ने तत्परता दिखाई और विधेयक पास करवाया।

अब राज्यपाल को प्रदेश के हित को ध्यान में रखकर उसपर हस्ताक्षर कर देना चाहिए। मोहन मरकाम ने कहा, भाजपा के दबाव में राज्यपाल हस्ताक्षर नही कर रही है। भाजपा के विधायक आरक्षण विधेयक को विधानसभा में ही रोकना चाह रहे थे। भाजपा आर्थिक-सामाजिक रूप से कमजोर लोगों को आगे बढ़ते देखना नहीं चाहती।

बता दें कि उच्च न्यायालय के 19 सितम्बर को आये एक आदेश से छत्तीसगढ़ में SC-ST-OBC वर्ग का आरक्षण खत्म हो गया है। इसे फिर से लागू कराने के लिए सरकार ने 2 दिसम्बर को दो विधेयक पारित कर राज्यपाल की अनुमति मांगी थी। राज्यपाल ने 18 दिनों बाद भी आरक्षण संशोधन विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। विधेयकों को फिर से विचार करने के लिए भी सरकार को लौटाया भी नहीं है।

इसके उलट 14 दिसम्बर को राजभवन ने राज्य सरकार को 10 सवालों की लंबी फेहरिस्त भेजी। इसमें अनुसूचित जाति और जनजाति को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़ा मानने का आधार पूछा गया है।

राज्यपाल अनुसूईया उइके दिल्ली रवाना

आरक्षण पर उपजे विवाद के बीच राज्यपाल अनुसूईया उइके दिल्ली रवाना हो गई हैं। जहैं राज्य पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करनी है। साथ ही 20 दिसम्बर को उनकी राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से भी मुलाकात प्रस्तावित है।

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