DMF

बिलासपुर। जिला पंचायत कोरबा द्वारा प्री ऑडिटिंग व ऑनलाइन कार्यों के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट फर्म्स के चयन के लिए विज्ञापन के माध्यम से निविदा आमंत्रित किया गया था। निविदा के नियम को लेकर शशांक मोघे एंड कंपनी द्वारा रिट याचिका छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में न्यायाधीश गौतम भादुड़ी व न्यायाधीश एन.के.चंद्रवंशी की युगलपीठ के समक्ष सुनवाई हेतु दायर की गई।

अनुभव को लेकर जताई थी आपत्ति

चार्टर्ड अकाउंटेंट फर्म्स के टेंडर के इस प्रस्ताव के उपनियम 8(D) के अंतर्गत यह तय किया गया था कि चयन हेतु फर्म्स का जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) से संबंधित राज्य के न्यूनतम दो जिलों में पूर्व अनुभव अनिवार्य होगा। मामले की पैरवी करते हुए अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी व हर्षमंदर रस्तोगी द्वारा यह तर्क रखा गया की छत्तीसगढ़ राज्य के प्रत्येक जिले में DMFT मौजूद नहीं हैं, इसलिए DMFT में पूर्व अनुभव का होना लगभग असंभव है, इस कारण से ज्यादा से ज्यादा फर्म्स निविदा में भाग नही ले पाएंगी, जो कि निविदा के मुख्य उद्देश्य प्रतिभागिता व कॉम्पिटिशन बढ़ाने के विपरित है। साथ ही यह तर्क भी दिया कि ऐसे निविदा में यह उपनियम कुछ फर्म्स को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया गया है, अधिवक्ता द्वारा इस हेतु उक्त नियम को रद्द करने का अनुरोध किया गया।

नियम को गलत माना कोर्ट ने

उच्च न्यायालय की युगलपीठ आदेश पारित करते हुए टेंडर निविदा पर रोक लगाते हुए अपने ऑर्डर में प्रत्यक्ष रूप से नियम को गलत व याचिकाकर्ता के हितों के विरुद्ध मानते हुए यह कहा कि प्रथम दृष्टया इस नियम से केवल कुछ फर्म्स को एकाधिकार प्राप्त हो सकता है इसलिए इस पर अभी रोक लगाना उचित प्रतीत होता है। न्यायलय ने उत्तरवादी जिला पंचायत सीईओ, कोरबा व राज्य सरकार को उत्तर प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया है। मामले की अगली तारीख तीन हफ्ते बाद की दी गई है।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटरयूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्रामकू और वॉट्सएप, पर