नई दिल्ली। देश का पहला ग्रीन कॉरिडोर दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे 1380 किलोमीटर लंबा है। कॉरिडोर का डिजाइन इस तरह का है कि अगर प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़े तो इस पर प्लेन उतारा जा सकता है। इसको लेकर आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में नेशनल हाईवे 16 पर फ्लाइट्स को उतारने का ट्रायल आज किया गया। यह ट्रायल सफल भी रहा है। दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर का दिल्ली से दौसा तक पहला हिस्सा जनवरी में शुरू हो जाएगा। यह 220 किलोमीटर की दूरी लोग दो घंटे में पूरा कर सकेंगे। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, इस कॉरिडोर के दौसा तक के हिस्से का 99.9 फीसदी काम पूरा हो चुका है। फिनिशिंग का काम चल रहा है। जैसे ही हरी झंडी मिल जाएगी यह हाइवे शुरू कर दिया जाएगा। दिल्ली से मुंबई तक पूरा कॉरिडोर दिसंबर 2023 तक पूरा होने का अनुमान है।


दिल्ली से दौसा तक के प्रोजेक्ट के हिस्से को देख रहे प्रोजेक्ट डायरेक्टर मुदित गर्ग के मुताबिक, जब तक इस कॉरिडोर पर परमानेंट पेट्रोल पंप या दूसरी सेवाएं शुरू नहीं कर दी जातीं तब तक मोबाइल पेट्रोल पंपों के जरिए लोगों को पेट्रोल-डीजल मुहैया कराया जाएगा। इसके बाद इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन शुरू होंगे और उसके बाद सीएनजी पंप भी लगाए जाएंगे। कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक, सभी सुविधाएं कॉरिडोर के शुरू होने के आठ महीने बाद चालू होने की बात है, लेकिन इन्हें पहले ही शुरू कर दिया जाएगा। कॉरिडोर पर रेस्तरां, रेस्टरूम, शॉपिंग मॉल, होटल जैसी सुविधाओं को पूरा करने का काम साथ-साथ चल रहा है।


प्लेन की हो सकती है इमरजेंसी लैंडिंग
दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर का डिजाइन इस तरह का है कि अगर प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़े तो इस पर प्लेन उतारा जा सकता है। अधिकारियों के मुताबिक, नैशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इस तरह की गाइडलाइंस जारी नहीं की है, लेकिन जरूरत पड़ने पर कुछ ऐसे इलाके हैं जहां पर हाईटेंशन तार नहीं हैं वहां पर प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग की जा सकती है। हाइवे पर इलेक्ट्रिक गाड़ियों की अलग से लेन होगी। इस हाइवे के शुरू हो जाने पर हर साल करीब 32 करोड़ लीटर फ्यूल की बचत होगी। इसकी वजह से सालाना करीब 85 करोड़ किलोमीटर कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन घटेगा, जो 4 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है। हाइवे पर करीब 20 लाख पौधे लगाए गए हैं।


12 घंटे में दिल्ली से मुंबई
देश का पहला ग्रीन कॉरिडोर दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे 1380 किलोमीटर लंबा है। इस हाइवे के निर्माण पर करीब एक लाख करोड़ की लागत आनी है। हाइवे पर 120 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से गाड़ियां चलेंगी और 12 घंटे में दिल्ली से मुंबई पहुंचा जा सकेगा। कॉरिडोर को 12 लेन का बनाने की योजना है। अभी तक पूरी दुनिया में 12 लेन का इतना लंबा कॉरिडोर नहीं है। अभी यह हाइवे 8 लेन का है। हाइवे के बीच में 21 मीटर चौड़ी जगह छोड़ी जा रही है, जैसे ही इस हाइवे पर ट्रैफिक बढ़ेगा दोनों ओर 2-2 लेन और बना दी जाएंगी। इससे यह हाइवे 12 लेन का हो जाएगा। जानकारी के मुताबिक हरियाणा में इस हाइवे की कुल लंबाई 160 किलोमीटर है। हरियाणा के पैकेज पर 11 हजार करोड़ का खर्च आएगा। इसके अलावा दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर के अन्य हिस्सों पर भी काम चल रहा है, कुछ पर काम खत्म भी हो गया है।


पांच राज्यों से होकर गुजरेगा हाइवे
दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर कुल पांच राज्यों से होकर गुजरेगा। इनमें दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र शामिल हैं। यह एक्सप्रेस-वे जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, कोटा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, अहमदाबाद और सूरत जैसे इकनॉमिक हब के लिए भी शानदार कनेक्टिविटी मुहैया कराएगा। इस कॉरिडोर के शुरू होने से बिजनेस कनेक्टिविटी बढ़ेगी और ट्रेड को बढ़ावा मिलेगा।