एक महीने में हुई 4 छात्रों की मौत, अपने बच्चे को कोटा भेजने से पहले ये 3 काम जरूर करें पैरेंट्स

टीआरपी डेस्क। राजस्थान का कोटा IIT JEE और NEET की तैयारी का गढ़ माना जाता है। देशभर से बच्चे यहां आईआईटी जेईई और नीट परीक्षा की तैयारी के लिए जाते हैं। मगर इन दिनों यहां से बच्चों की आत्महत्या के कई मामले सामने आ रहे हैं।

कोटा के विभिन्न कोचिंग संस्थानों में रिकॉर्ड दो लाख छात्रों ने इस साल दाखिला लिया है। यहां पढ़ने वाले कम से कम 14 छात्रों ने कथित तौर पर पढ़ाई के तनाव के चलते इस साल आत्महत्या कर ली है। इसी एक माह के दौरान ही Kota में चार छात्रों द्वारा आत्महत्या के मामले सामने आए हैं।

ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर बच्चे क्यों आत्महत्या जैसा कार्य करने के लिए मजबूर हैं। इसी के साथ ही कोटा जाने वाले छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर भी एक नई बहस भी छिड़ गई है।

JEE, NEET की तैयारी कोटा में कराने से पहले पैरेंट्स कर लें ये तैयारी

एक्सपर्ट्स ने उन पैरेंट्स को कुछ बेहद जरूरी टिप्स दिए हैं जो अपने बच्चों को जेईई, नीट की कोचिंग के लिए कोटा (Rajasthan) भेजते हैं. इनपर गौर जरूर फरमाएं.

पहला स्टेप- काउंसलिंग

‘अधिकतर माता-पिता अपने बच्चों को बिना किसी तैयारी के इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी के लिए कोटा भेज देते हैं। इस दौरान पैरेंट्स का ध्यान केवल पैसे जुटाने और साजो सामान की व्यवस्था करने पर होता है।’

‘जब कोई बच्चा 5वीं या छठी कक्षा में पढ़ रहा होता है, तभी माता-पिता तय कर लेते हैं कि दो-चार साल बाद उसे कोटा भेज दिया जाएगा। वे उसी के अनुसार बचत करना शुरू कर देते हैं। लेकिन इस दौरान वे कभी यह जानने की कोशिश नहीं करते कि क्या उनका बच्चा वास्तव में ऐसा करना चाहता है? या वह ऐसा करने में सक्षम है भी या नहीं?’

‘ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चों की मानसिक क्षमता को समझे बिना अधिक अंक लाने पर जोर देते हैं। 10वीं या 12वीं में 90% से ऊपर अंक यह तय करने का मानक नहीं हो सकता कि बच्चा Engineering या Medical की पढ़ाई करने के योग्य है। हम पाते हैं कि यहां अक्सर ऐसे छात्र आते हैं, जो या तो माता-पिता के दबाव में यहां आते हैं या उन्हें पता नहीं होता कि उन्हें क्या पढ़ना पसंद है। इस मामले किसी एजुकेशन काउंसलर की मदद से बच्चे का इंट्रस्ट जानने की कोशिश की जानी चाहिए।

दूसरा स्टेप- बच्चे की ग्रूमिंग

मनोरोग चिकित्सकों का कहना है कि ‘माता-पिता अपने बच्चों पर डॉक्टर, इंजीनियर बनने का दबाव डालने के बजाय उनकी काउंसलिंग कराएं। यह तय करें कि उनके लिए क्या बेस्ट है।’ जेईई और एनईईटी बहुत कठिन परीक्षाएं हैं। ऐसे में शैक्षणिक स्तर भी समान होना चाहिए। ‘छात्रों को कोटा भेजने से पहले उनका एप्टीट्यूड टेस्ट लेना बहुत जरूरी है। साथ ही बच्चों की ग्रूमिंग बेहद जरूरी है क्योंकि इनमें से अधिकांश बच्चे पहले कभी घर से दूर नहीं रह रहे होते।

तीसरा स्टेप- बच्चे के साथ सामंजस्य

माता-पिता और उनके बच्चों के बीच आपसी संवाद (खुलकर बात) भी बेहद जरूरी है। इसे पहले से विकसित करना बहुत महत्वपूर्ण है। माता-पिता यह उम्मीद नहीं कर सकते कि जब बच्चा यहां आएगा तो अचानक उनसे बातचीत करना शुरू कर देगा। उन्हें बाहर के तौर-तरीकों की जानकारी दें।

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