जानें क्या होता है लोअर सर्किट, शेयर बाजार में Investor के लिये क्या हैं इसके मायने

बिजनेस डेस्क। डोमेस्टिक शेयर मार्केट में किसी इंडेक्स या शेयर में आई बड़ी गिरावट पर स्वत: कारोबार पर रोक लग जाती है। जिस स्तर पर कारोबार रुकता है, उसे सर्किट कहते है। बता दें कि यह कारोबारी सत्र के दौरान कभी भी लग सकता है। यह मार्केट में उतार-चढ़ाव को काबू में करने का काम करता है।

शेयर बाजर में इंडेक्स आधारित सर्किट पूरे मार्केट पर लागू होता है। इसके तीन चरण होते हैं। यह 10 प्रतिशत, 15 प्रतिशत और 20 प्रतिशत की गिरावट पर लगता है। इसके कारण इक्विटी और इक्विटी डेरिवेटिव कारोबार रुक जाता है। वहीं मार्केट में सर्किट तब लगता है कि जब दोनों ही प्रमुख Indices- BSE Sensex या Nifty 50 Index में से किसी भी इंडेक्स में निर्धारित गिरावट आती है। एक इंडेक्स पर सर्किट लगने पर दूसरे पर सर्किट स्वत: ही लागू हो जाता है।

10 प्रतिशत लोअर सर्किट

आज स्टॉक मार्केट में कारोबार शुरू होने के कुछ मिनट बाद ही Sensex में करीब 10% की गिरावट आ गई। इसके बाद कारोबार रोकना पड़ा। सर्किट के नियम के मुताबिक, अगर 10% की गिरावट 1 बजे से पहले आती है, जो मार्केट में एक घंटे के लिए कारोबार रोक दिया जाता है। 45 मिनट बाद 15 मिनट के प्री ओपन सेशन के बाद कारोबार दोबारा शुरू होता है।

वहीं, 10 प्रतिशत का Lower Circuit दोपहर 1 बजे के बाद लगता है, तो कारोबार 30 मिनट के लिए रुख जाता है। 2.30 बजे के बाद 10 प्रतिशत का लोअर सर्किट लगने पर कारोबार जारी रहता है।

15 प्रतिशत का लोअर सर्किट

अगर Index में 15 प्रतिशत की गिरावट 1 बजे से पहले आती है, तो बाजार में 2 घंटे के लिए कारोबार रोक दिया जाता है। दोपहर 1 बजे के बाद 15 फीसदी गिरावट आने पर एक घंटे के लिए कारोबार रुकता है। लेकिन 2.30 बजे के बाद 15 प्रतिशत का सर्किट लगे तो कारोबार जारी रहता है।

20 प्रतिशत का लोअर सर्किट

अगर Sensex या Nifty में 20 प्रतिशत तक गिरावट आती है तो उस दिन कारोबार की शुरूआत नहीं की जाती। मार्केट उस दिन के लिए बंद हो जाता है और अगले दिन ही उसमें ट्रेडिंग शुरू की जाती है।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटरयूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्रामकू
 पर