नई दिल्ली : पिछले कुछ दिनों से शेयर मार्केट में गिरावट का दौर जारी है। Hindenburg के रिपोर्ट के मुताबिक गौतम अडानी ने धोखा धड़ी किया है। जिस वजह से अडानी ग्रुप के शेयर लगातार गिर रह हैं। इसी कड़ी में भारत का सबसे बड़ा लाइफ इंश्योरर एलआईसी (LIC) ने गौतम अडानी (Gautam Adani) की कंपनियों में काफी पैसा लगाया हुआ है। एलआईसी की पांच कंपनियों में एलआईसी की 9 फीसदी तक हिस्सेदारी है. खास ये है कि अडानी ग्रुप पर लगे फ्रॉड के आरोपों के बाद दो दिनों में कंपनियों की मार्केट वैल्यू 4,08,122 यानी 50 बिलियन डॉलर से ज्यादा कम हो गई है।

LIC को किस कंपनी में कितना घाटा हुआ
अदानी एंटरप्राइजेज के निवेश में LIC को 2700 करोड़ का घाटा हुआ है। अदानी ग्रीन में 875 करोड़, अदानी ट्रांसमिशन में 3050 करोड़, अदानी पोर्ट में 3300 करोड़, ACC में 570 करोड़, अंबुजा सीमेंट्स में 1460 करोड़ का घाटा हुआ है। इन सातों कंपनियों का कुल घाटा 18305 करोड़ है।

अडानी एफपीओ में एंकर इंवेस्टर है एलआईसी
एलआईसी के निवेश ने 25 जनवरी को एशिया के सबसे अमीर आदमी और उसके संकटग्रस्त समूह में विश्वास मत का संकेत दिया, जो अभी तक के सबसे कठिन दौर का सामना रहा है, इस सप्ताह की शुरुआत में अमेरिका के हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की वृद्धि को “इतिहास का सबसे बड़ा कॉर्पोरेट घोटाला” बताया।

एलआईसी एफपीओ में एंकर के रूप में आने वाले 33 इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स में शामिल है, जिसमें अबू धाबी इंवेस्टमेंट अथॉरिटी और अल मेहवार कमर्शियल इंवेस्टमेंट एलएलसी जैसे नाम शामिल हैं। वैसे एलआईसी का इंवेस्टमेंट बाकी एंकर्स के मुकाबले काफी कम है, जबकि एलआईसी के पास लगभग 43 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है। उसके बाद भी यह दूसरे डॉमेस्टिक फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के लिए भी खतरे की घंटी है, जिन्होंने या तो अडानी की कंपनियों में कम निवेश किया हुआ है या फिर ना के बराबर है।

लॉन्ग टर्म के बारे में सोचती है एलआईसी
केजरीवाल रिसर्च एंड इंवेस्टमेंट के संस्थापक अरुण केजरीवाल ने एक मीडिया रिपोर्ट में कहा कि एलआईसी विपरीत सोचती है। बाजार में उतार-चढ़ाव होने पर इसने हमेशा पैसा कमाया है। इसमें कम समय के लिए पैसा नहीं मिलता है। यह लॉन्ग-ओनली फंड के रूप में काम करता है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, एलआईसी चेयरमैन को अडानी ग्रुप के निवेश पर टिप्पणी मांगने के लिए भेजे गए ईमेल और टेक्स्ट संदेशों का कोई जवाब नहीं आया है। भारत भर में 250 मिलियन से अधिक पॉलिसी होल्डर्स और देश के म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री जितनी बड़ी संपत्ति के प्रबंधन के साथ, एलआईसी भारत के व्यवस्थित रूप से सबसे महत्वपूर्ण संस्थानों में से एक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले अडानी ग्रुप के लिए एलआईसी का रिस्क, टाइकून के राजनीतिक दबदबे के प्रतीक रूप में भी देखा सकता है।

पांच कंपनियों में कितनी हिस्सेदारी
एलआईसी ने अडानी ग्रुप की पांच कंपनियों में निवेश किया हुआ है। जिसमें 1 फीसदी से लेकर 9 फीसदी तक की हिस्सेदारी है, जो 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिपोर्ट प्रकाशित होने से ठीक पहले कुल 77,268 करोड़ रुपये की थी। स्टॉक एक्सचेंजों में दर्ज दिसंबर 2022 के आंकड़ों के अनुसार, किसी अन्य भारतीय बीमा कंपनी के पास कोई महत्वपूर्ण होल्डिंग नहीं है। कुछ शेयरों में भारी तेजी के बावजूद ज्यादातर म्युचुअल फंड इस ग्रुप से काफी हद तक दूर रहे हैं। उदाहरण के लिए अडानी इंटरप्राइजेज, पिछले पांच वर्षों में 1,900 फीसदी से अधिक बढ़ गया।

खतरे में पड़ सकता है आम लोगों का पैसार
इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम नरेश ने कहा कि, सरकारी वित्तीय संस्थानों पर हाई रिस्क का फाइनेंशियल स्टेबिलिटी पर असर पड़ता है । ऐसे संस्थानों में आम लोगों की बचत होती है जो खतरे में पड़ सकती है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से शुरू हुई बिकवाली अब इस तरह की चिंताओं को और बढ़ा सकती है। अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और अडानी टोटल गैस लिमिटेड जैसी कंपनियों के शेयरों में 20 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली। अडानी इंटरप्राइजेज का शेयर 19 फीसदी तक टूट गया।

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