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कोरबा। जनपद पंचायत की उपाध्यक्ष कौशिल्या देवी वैष्णव के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव को लेकर चल रहे विवाद का पटाक्षेप हो गया है। प्रशासन द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पर कराए गए मतदान में उपाध्यक्ष के पक्ष में मात्र 6 सदस्यों ने मतदान किया जबकि 18 ने विपक्ष में वोट डाला। इस तरह तमाम हथकंडों के बाद भी जनपद उपाध्यक्ष अपनी कुर्सी बचा पाने में सफल नहीं हो पाई।

जॉइंट कलेक्टर की मौजूदगी में हुई कार्यवाही

पूर्व में कोरबा जनपद के सदस्यों ने कलेक्टर संजीव झा के समक्ष कौशिल्या देवी वैष्णव के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, जिसके आधार पर कलेक्टर ने अविश्वास प्रस्ताव के सम्मिलन की अध्यक्षता के लिए संयुक्त कलेक्टर सेवाराम दीवान को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया। अविश्वास प्रस्ताव का सम्मिलन आज प्रातः 11 बजे कार्यालय जनपद पंचायत कोरबा के सभा कक्ष में आयोजित किया गया।

पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों के तहत अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के लिए कुल वैध मतों में से दो तिहाई से अधिक मतों की जरुरत थी। इसके मुताबिक उपाध्यक्ष कौशिल्या देवी वैष्णव को जनपद उपाध्यक्ष पद से पद हटाने के लिए 24 वैध मतों में से 17 मतों की जरूरत थी, लेकिन इससे भी अधिक 18 सदस्य ने कौशिल्या देवी वैष्णव के खिलाफ मतदान किया। और कौशिल्या देवी को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी।

एक प्रस्ताव ने कराया बेड़ा गर्क…

कोरबा जनपद पंचायत में जब से उपध्यक्ष कौशिल्या देवी वैष्णव के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, तब से यहां शिकवा-शिकायतों का दौर शुरू हो गया। उपाध्यक्ष कौशिल्या और पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर के बेटे संदीप कंवर की शिकायत पर जनपद सीईओ जीके मिश्रा एवं सहायक ग्रेड 2 सुरेश पांडेय के खिलाफ वित्तीय अनियमितता की जांच में आरोप साबित हो गया और इन दोनों के खिलफ FIR दर्ज करा दी गई। फ़िलहाल दोनों फरार हैं। इसी तरह उपाध्यक्ष कौशिल्या देवी और अध्यक्ष हरेश कंवर ने एक दूसरे के खिलाफ शिकायतें करते हुए कार्रवाई की मांग की। और आखिरकार अविश्वास प्रस्ताव में खुद कौशिल्या देवी को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी।

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