lithiam survey

कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से बड़ी खबर सामने आयी है। यहां के कटघोरा ब्लाक के नगर पालिका क्षेत्र में ही लिथियम खनिज का भंडार मिला है। बीते 2 महीने से यहां खुदाई और सर्वे का काम चल रहा है।

नगर पालिका कटघोरा के वार्ड क्रमांक 7 महेशपुर में भूगर्भीय सर्वेक्षण की टीम लगभग 2 महीने से सर्वे का काम कर रही है। ग्राम महेशपुर के अलावा रामपुर और नवागांव में भी खुदाई के दौरान लिथियम पाए जाने के संकेत मिले हैं। महेशपुर में तालाब के निकट इसका काफी बड़ी मात्रा में भंडारण होना पाया गया है। यहां दर्जन भर खेत में जमीन से लगभग 80 फीट नीचे लिथियम का भंडार मिला है। इसी तरह रामपुर जो कि जलाशय निर्माण के लिए चिन्हांकित है, यहां भी प्रचुर मात्रा में लिथियम पाए जाने के संकेत मिले हैं।

कटघोरा के ग्राम रामपुर के निकट ही चकचकवा पहाड़ भी है, जहां पूर्व में थोड़ा बहुत लीथियम मिला था। अभी जिस पैमाने पर लिथियम का भंडारण यहां पाया जा रहा है, उस आधार पर आने वाले दिनों में सर्वे का दायरा और बढ़ाया जा सकता है। इसकी जानकारी होने के साथ ही भूगर्भगीय सर्वेक्षण की और भी टीम मशीनों के साथ यहां बुला ली गई है। संबंधित अधिकारियों का दल महेशपुर पहुंच चुका है। हालांकि इस बारे में जानकारी लेने के लिए स्थानीय खनिज अधिकारी प्रमोद कुमार नायक से संपर्क किया गया तो उनका फोन रिसीव नहीं किया।

वार्ड क्रमांक 7 के पार्षद जय कंवर ने बताया कि महेशपुर में लिथियम मिलने की जानकारी उन्हें प्राप्त हुई है। उन्होंने अपने स्तर पर सर्वेक्षण कार्य से जुड़े अधिकारियों से चर्चा कर इसकी जानकारी ली है।

बैटरी में होता है लीथियम का इस्तेमाल

लिथियम एक रासायनिक तत्व है। साधारण परिस्थितियों में यह प्रकृति की सबसे हल्की धातु और सबसे कम घनत्व-वाला ठोस पदार्थ है। रासायनिक दृष्टि से यह क्षार धातु समूह का सदस्य है और अन्य क्षार धातुओं की तरह अत्यंत अभिक्रियाशील (रियेक्टिव) है, यानि अन्य पदार्थों के साथ तेज़ी से रासायनिक अभिक्रिया कर लेता है। इसे हवा में रखा जाये तो यह जल्दी ही वायु में मौजूद ऑक्सीजन से अभिक्रिया करने लगता है, जो इसके शीघ्र ही आग पकड़ लेने में प्रकट होता है। इस कारणवश इसे तेल में डुबो कर रखा जाता है। तेल से निकालकर इसे काटे जाने पर यह चमकीला होता है लेकिन जल्द ही पहले भूरा-सा बनकर चमक खो देता है और फिर काला होने लगता है। अपनी इस अधिक अभिक्रियाशीलता की वजह से यह प्रकृति में शुद्ध रूप में कभी नहीं मिलता बल्कि केवल अन्य तत्वों के साथ यौगिकों में ही पाया जाता है। अपने कम घनत्व के कारण लिथियम बहुत हल्का होता है और धातु होने के बावजूद इसे आसानी से चाकू से काटा जा सकता है। लिथियम की खोज सन 1817 मे जोहान अगस्त ( johan augest ) और आर्फवेडसन (arfvedson) ने की थी।

लिथियम एक तरह का रेअर एलिमेंट है जिसका इस्तेमाल मोबाइल-लैपटॉप, इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) समेत दूसरे चार्जेबल बैटरियों को बनाने में किया जाता है।

भारत के इस राज्य में भी है भण्डार

लिथियम का सबसे बड़ा भंडार चिली में 93 लाख टन का है।ऑस्ट्रेलिया में 63 लाख टन, अर्जेंटीना में 27 लाख टन और चीन में 20 लाख टन लिथियम उत्पाद किया जाता है। भारत अपनी जरूरत का 96 फीसदी लिथियम आयात करता है। भारत, चीन से सबसे ज्यादा लिथियम आयात करता है। भारत में जम्मू कश्मीर में लिथियम का भंडार मिला है। इसकी क्षमता 59 लाख टन है। भारत में पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में लीथियम मिला है। बताया ये भी जा रहा है कि यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा लिथियम भंडार हो सकता है। इतनी भारी मात्रा में लिथियम मिलने से नॉन फेरस मेटल के लिए अब भारत की निर्भरता दूसरे देशों से कम हो जाने की उम्मीद है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी GSI ने 59 लाख टन लिथियम की पहचान जम्मू-कश्मीर के रियासी में की है।

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