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पेंड्रा। बहुचर्चित नेचर कैम्प घोटाले के मामले में कार्रवाई लगातार जारी है। पूर्व में 4 कर्मियों को निलंबित करने के बाद इस बार मरवाही वनपरिक्षेत्र अधिकारी दरोगा सिंह मरावी और सहायक परिक्षेत्र अधिकारी मान सिंह श्याम को निलंबित कर दिया गया है।

तीन सदस्यीय समिति ने की मामले की जांच

यह मामला मरवाही के नेचर कैंप और साल्हेकोटा वन प्रबंधन समिति से जुड़ा हुआ है। जहां मरवाही रेंज के साल्हेकोटा वनप्रबंधन समिति अंतर्गत आने वाले नेचर कैम्प गगनई में नेचर कैम्प प्रबंधन समिति जामवंत माड़ा गगनई के नाम से फर्जी वनसमिति गठित कर 42 लाख रुपए की राशि निकाल ली गई थी। सीसीएफ राजेश चंदेले ने इस मामले की शिकायत की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई, जिसमें बिलासपुर डीएफओ, जांजगीर और मरवाही एसडीओ को शामिल किया।

9 वन कर्मी-अधिकारी मिले दोषी

जांच में तीनों सदस्यों ने प्रथम दृष्टया ही गड़बड़ी पकड़ी कि समिति ही फर्जी है। इस आधार पर एसडीओ, रेंजर, डिप्टी रेंजर, फारेस्ट गार्ड सहित कुल 9 लोगों को दोषी मानते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की गई।

प्रथम दृष्टया गड़बड़ी पाए जाने के बाद सीसीएफ ने ऐंठी के डिप्टी रेंजर द्वारिका रजक, मरवाही के दो डिप्टी रेंजर अष्वनी दुबे और इंद्रजीत कंवर को वहीं डीएफओ ने 1 फारेस्ट गार्ड को निलंबित कर दिया। इसके अलावा एसडीओ और रेंजरों पर कार्रवाई के लिए प्रस्ताव बनाकर पीसीसीएफ कार्यालय भेजा गया।

इस घोटाले में कार्रवाई की अनुशंसा के बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) संजय शुक्ला ने मरवाही वनपरिक्षेत्र अधिकारी दरोगा सिंह मरावी और सहायक परिक्षेत्र अधिकारी मान सिंह श्याम को निलंबित कर दिया गया है।

फर्जी समिति ने किया फर्जी पौधरोपण

इस घोटाले में चर्चित एसडीओ संजय त्रिपाठी भी शामिल हैं। मगर कुल कितने का घोटाला इन सबने किया है, यह स्पष्ट नहीं हुआ है, इसकी जांच अभी जारी है। मरवाही वनमंडल में फर्जी वन समिति बनाकर शासकीय राशि के दुरूपयोग का यह सिलसिला वर्ष 2016-17 में शुरू हुआ। फर्जी वन प्रबंधन समिति को हर साल बाकायदा राशि का भुगतान भी होता रहा है। समिति पौधरोपण के काम भी फर्जी तरीके से दिखाती रही। हाल ही में नेचर कैंप प्रबंधन समिति ने खाते से 42 लाख रुपए की राशि का आहरण किया और उसमें से कुछ भुगतान किया। इसी दौरान शिकायत हुई कि दोनों समितियां फर्जी तरीके से काम कर रही हैं और करोड़ों रुपए का घोटाला कर चुकी है। इस पूरे मामले में बैंक प्रबंधन की भूमिका भी संदिग्ध है। इसकी भी जांच की जा रही है।

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