BOMBAY HC

मुंबई। दुर्घटना में पति की मौत के बाद विधवा महिला ने दूसरी शादी कर ली। केवल इसी के आधार पर बीमा कंपनी ने महिला को क्षतिपूर्ति राशि देने से इंकार कर दिया।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक विधवा महिला को मुआवजा न देने की इंश्योरेंस कंपनी की दलील को खारिज करते हुए कहा कि मोटर व्हीकल्स एक्ट के तहत ऐसी महिला को सड़क हादसे में मौत की वजह से इंश्योरेंस कंपनी की ओर से दिया जाने वाला मुआवजा निश्चित तौर मिलेगा। बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए आए इस मामले के मुताबिक़ 19 साल की एक महिला के पति की 2010 में सड़क हादसे में मौत हो गई थी, इसके बाद महिला ने दोबारा शादी कर ली।

इफ्को टोक्यो जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने महिला के मुआवजे के दावे को खारिज करते हुए कहा कि चूंकि महिला ने दोबारा शादी कर ली है इसलिए मुआवजे पर उसका हक नहीं बनता। यह मामला मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल में गया था, जिसने इंश्योरेंस कंपनी को महिला को मुआवजे देने का निर्देश दिया था।

बिमा कंपनी ने हाई कोर्ट में दी चुनौती

इंश्योरेंस कंपनी द्वारा ट्रिब्यूनल के इस इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट में इंश्योरेंस कंपनी ने कहा था कि चूंकि गणेश की पत्नी ने उनकी मौत के बाद दूसरी शादी कर ली थी, इसलिए वो मुआवजे की हकदार नहीं हैं। लेकिन एस जी दिगे की सिंगल जज की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि इस बात की उम्मीद नहीं की जाती कि दुर्घटना में मारे गए पति की मौत का मुआवजा लेने के लिए पत्नी को जिंदगी भर विधवा रहना होगा।

कोर्ट ने रिकॉर्ड देखने पर पाया कि पति की मौत के समय महिला की उम्र 19 साल थी। कोर्ट ने कहा कि मुआवजे के लिए सड़क हादसे के समय शख्स का पत्नी होना ही पर्याप्त है

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