HIGH COURT

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने राज्य में सीनियर पायलट की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है। दरअसल कोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई के दौरान नियुक्ति की प्रक्रिया पर स्टे लगा दिया था।

राज्य सरकार ने सीनियर पायलट की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था। चयन समिति ने इस पद के लिए एन बमन का सलेक्शन किया था, मगर बमन ने व्यक्तिगत कारणों से नियुक्ति लेने से इंकार कर दिया। बमन के बाद प्रतीक्षा सूची में युगल रात्रे का नाम पहले स्थान पर था। चयन समिति ने उन्हें अनुपयुक्त पाते हुए नियुक्ति के लिए नया विज्ञापन जारी कर दिया। इसके खिलाफ रात्रे ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी।

प्रतीक्षा सूची में गलती से नाम रखा..!

प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सीनियर पायलट की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी। विगत 6 अप्रैल को इस प्रकरण में अंतिम सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की सिंगल बेंच में हुई। राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता संदीप दुबे ने कहा प्रतीक्षा सूची में उसका नाम गलती से रख दिया गया था। इस सूची को रद्द कर दिया गया।

केंद्र के मापदंड के अनुरूप भर्ती

राज्य सरकार के सीनियर पायलट को किंग एयर बी टू हंड्रेड को उड़ाना है। इसमें अत्यंत विशिष्ट व्यक्ति होते हैं, जिसमें अत्यंत सावधानी बरती जाती है। इसके पायलट की योग्यता का मापदंड केंद्र सरकार की सिविल एवियेशन विभाग ने तय किया है। इसके अनुसार पायलट को एयर टू हंड्रेड को 50 घंटे चलाने का अनुभव और वीआईपी फ्लाई पिक्स बैग को 3000 घंटे चलाने का अनुभव होना चाहिए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने पक्ष रखा।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने दिए गए फैसले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि चयन प्रक्रिया में भाग लेने वाला कोई उम्मीदवार जब तक उस पद पर चयनित नहीं हो जाता, नियुक्ति को चुनौती नहीं दे सकता है। साथ ही विशिष्ट व्यक्तियों के लिए पायलट की नियुक्ति करना एक गंभीर प्रक्रिया है, जो संघ का विषय है। केंद्र शासन के दिशानिर्देश के अनुरूप राज्य सरकार नियुक्ति कर रही है। इसे त्रुटिपूर्ण नहीं कहा जा सकता।

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