समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन भी सुनवाई जारी है. केंद्र सरकार के विरोध के बीच Same Sex Marriage के पक्ष में दलीलें देते हुए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने जमकर दलीलें पेश की हैं. शीर्ष अदालत में हालांकि अभी सुनवाई जारी है. मुकुल रोहतगी ने खजुराहो की दीवारों पर उकेरी गई कलाकृतियों से लेकर इतिहास की किताबों में दर्ज तथ्यों को अदालत के सामने पेश किया.

दूसरे दिन भी सुनवाई के साथ ही केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह का विरोध किया. मगर मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में दमदार तर्क पेश किए. उन्होंने कहा कि समाज में हमें पहचान दिलाने की जरूरत है और देश का संविधान ही यह हक दिला सकता है. लंच के बाद इस मामले में अभिषेक मनु सिंघवी ने भी याचिकाकर्ताओं की ओर से अपनी दलीलें रख रहे हैं.

 सुनवाई के मुख्य प्वाइंट…

  1. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ समलैंगिक विवाह मामले की सुनवाई कर रही है. याचिकाकर्ताओं की ओर से मुकुल रोहतगी अपना पक्ष रख रहे हैं और सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दलील रख रहे हैं. 18 अप्रैल को पहली बार मामले की सुनवाई हुई.
  2. सरकार ने आज नया हलफनामा पेश किया है. इसमें कहा गया है कि केंद्र राज्यों से सलाह कर रही है. उन्होंने कहा कि ये सामाजिक मामला है. संसद में इसको लेकर चर्चा होनी चाहिए और जो भी निर्णय हो वहीं पर होना चाहिए.
  3. याचिकाकर्ताओं की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा कि समाज का ही एक तबका दशकों से लांछन झेल रहा है. उसको इससे छुटकारा दिलाइये. स्पेशल मैरिज एक्ट में उनको स्थान दीजिए, इससे उनको पहचान मिलेगी. वो खुलकर जिंदगी जी पाएंगे.
  4. सरकार की ओर एसजी टी मेहता ने अधिकारों की बात रखी थी. आसान भाषा में समझने की कोशिश करते हैं दरअसल, जहां पर पति-पत्नी का कॉलम आता है वहां पर लड़के और लड़की का नाम लिखा जाता है. लेकिन समलैंगिक विवाह में ऐसा नहीं हो सकता. मुकल रोहतगी ने कहा कि पति और पत्नी की जगह जीवनसाथी शब्द का प्रयोग कीजिए.
  5. रोहतगी की बात खत्म करने के बाद सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ये मुद्दा राज्यों का है. इसमें स्टेट को पार्टी बनाया जाना चाहिए. केंद्र ने कहा कि स्टेट से बातचीत चल रही है.कोर्ट की संविधान पीठ इसका सुनवाई कर रही है.
  6. मुकुल रोहतगी ने अपनी दलील में गुजारे भत्ते का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि लंबा समय बीत चुका है और आज के समय में यह कहना सही नहीं होगा कि सिर्फ पति ही पत्नी को गुजारा भत्ता देगा. हिंदू मैरिज एक्ट में साफ है कि अगर पत्नी ज्यादा कमा रही है तो वह भुगतान करेगी. स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत गुजारे भत्ते की बात असंवैधानिक है.
  7. सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ से आश्चर्य जताते हुए कहा कि सरकार इसके लिए क्यों तैयार नहीं है. क्या वो लोग सिर्फ पुराने दौर की शादियां चाहते हैं. अगर ऐसा हो तो फिर जो इंटर कास्ट मैरिज और दूसरे धर्म में शादियों के बारे में इनका क्या ख्याल है