
विशेष संवादाता
रायपुर। जीत के लिए सियासी पार्टियों में बैठकें जरुरी हैं। सियासी उठक-बैठक के लिए एजेंडा भी निर्धारित होता है। एजेंडा इम्प्लीमेंट करने के लिए आला औदेदारों को भी फिल्ड में उतरना पड़ता है। लेकिन प्रदेश भाजपा में अब नेताओं की बैठकों से कार्यकर्त्ता बोर होने लगे हैं। आलम यह है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रदेश, संभाग, जिला और प्रकोष्ठ स्तर मे भूपेश सरकार और कांग्रेस के खिलाफ बैठकों में कार्ययोजना कई बार बता चुके हैं।
पार्टी नेता और कार्यकर्त्ता आंदोलन, मिडिया में बयान के अलावा सरकार पर हमले भी कर रहे हैं। नतीजतन बीजेपी के नेताओं पर अपराध भी दर्ज हुआ है जिसमे ज्यादातर कार्यकर्त्ता या फिर पार्टी के मझोले पदाधिकारी हैं। पार्टी की बैठकों में मंच से जोश भरने वाले आला नेता FIR से बच जाते हैं।
आगामी विधानसभा में कांग्रेस को हारने के लिए बीजेपी ने औसतन 150 दिनों में 300 बैठकें कर चुकी है। आमतौर पर सभी में पदाधिकारियों के साथ कार्यकर्ताओं को लगातार एक जैसा भाषण, योजना, केंद्र की मोदी सरकार के कार्य-नीतियों पर इतना बोलै जा चूका है कि सदस्यों का उत्साह जवाब दे चूका है।
पार्टी सूत्रों की मानें तो दिल्ली, राजस्थान और संगठन से आने वालों की लंबी लंबी बैठकें अब समर्पित कार्यकर्ताओं को समय की बर्बादी लगने लगी है। कार्यकर्ताओं की सुनने की बजाये पार्टी के आला नेताओं को इस बात को गंभीरता से लेना होगा ताकि समर्पित बीजेपी सदस्य, कार्यकर्त्ता क्या चाहते और बोलते हैं यह सुनना चाहिए न कि उन्हें सुनाना।
उम्मीद है छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर 6 दिवसीय प्रदेश दौरे पर है। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव है जिसे लेकर सभी राजनेतिक पार्टियां तैयारियों में जुट गए है। इस दौरान ओम माथुर बैठक बुलाएँ भी तो उसमे पदाधिकारी और बड़े नेताओं की बजाये सिर्फ दूसरी, तीसरी पंक्ति के सदस्यों-कार्यकर्ताओं की सुनें उन्हें बोलने दें। बता दें कि ओम माथुर 6 दिवसीय छत्तीसगढ़ प्रवास पर हैं। इस दौरान वे दुर्ग और बस्तर संभाग का दौरा करेंगे। साथ ही कार्यकर्ताओं के साथ बैठक लेंगे