Anand Mohan Case: आईएएस अफसर जी कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के नीतीश सरकार के फैसले पर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है।

सेंट्रल आईएएस एसोसिएशन नीतीश सरकार के इस फैसले की कड़ी निंदा की है। एसोसिएशन ने इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है। एसोसिएशन की ओर से कहा गया है कि बिहार सरकार का यह फैसला काफी निराशजनक है। बता दें कि आनंद मोहन आईएएस अफसर जी कृष्णैया की नृशंस हत्या की थी।

वहीं जी कृष्णैया की पत्नी और बेटी ने बिहार सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सवालों के कटघरे में खड़ा किया है। कृष्णैया की पत्नी उमा देवी इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में जुट गई हैं।

आईएएस एसोसिएशन ने इस फैसले की निंदा करते हुए कहा कि यदि यह फैसला वापस नहीं लिया जाता है तो यह न्याय से वंचित होने के समान होगा। एसोसिएशन ने कहा कि 1985 बैच के आईएएस जी कृष्णैया की नृशंस तरीके से हत्या की गई थी। नीतीश सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। कृष्णैया के पत्नी उमा देवी ने कहा कि बिहार सरकार के फैसले से आईएएस अधिकारियों में भी नाराजगी है।

उन्होंने कहा कि यदि इस मुद्दे पर उन्हें लोगों का साथ मिला तो वे निश्चित रूप से सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगी। उन्होंने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट से अपने पति के हत्यारे को न छोड़ने की गुहार लगाएंगी। उन्होंने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई। उन्होंने आगे कहा कि अगर ऐसे आदमी को जेल से छोड़ा गया तो अन्य अपराधियों को भी बढ़ावा मिलेगा।

क्या है मामला

तेलंगाना में जन्मे जी कृष्णैया बिहार में गोपालगंज के जिलाधिकारी थे। 1994 में जब वे मुजफ्फरनगर से गुजर रहे थे, उसी दौरान भीड़ ने पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी थी। हत्या की घटना के समय आनंद मोहन भी मौके पर मौजूद थे। इस मामले में पहले उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी मगर बाद में पटना हाईकोर्ट ने इस सजा को उम्रकैद में बदल दिया था।

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