पटना : पटना हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार को झटका देते हुए जाति आधारित जनगणना पर रोक लगा दी है। पटना हाईकोर्ट ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया है. इस मामले में अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी तब तक जातिगत जनगणना पर स्टे रहेगा। इस फैसले से नीतीश सरकार को बड़ा झटका लगा है, नीतीश सरकार लंबे समय से जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में रही है। नीतीश कुमार के साथ अखिलेश यादव और कांग्रेस भी जातिगत जनगणना के समर्थन में है। Stay on Caste-Based Census

बता दें कि बिहार सरकार ने राज्य में जातिगत जनगणना कराने का फैसला किया था। इसका काम जनवरी 2023 से शुरू हुआ था। इसे मई तक पूरा किया जाना था, अब हाईकोर्ट ने इस पर 3 जुलाई तक रोक लगा दी है। पिछले तीन दिनों से पटना हाई कोर्ट में इस मामले में बहस चल रही थी। मंगलवार को याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि जातीय जनगणना कराने का सरकार का फैसला नागरिकों की निजता का हनन है। तो वहीं बिहार सरकार की तरफ से इसपर महाधिवक्ता पीके शाही ने सरकार का पक्ष रखा था और कहा था कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाने के लिए जातीय जनगणना जरूरी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि भारक के संविधान के अनुच्छेद 37 के तहत प्रदेश सरकार का हक है कि वह अपने नागरिकों के बारे में जानकारी लें।

जातीय जनगणना से सबको फायदा-सीएम
जातीय जनगणना पर रोक लगाने की पटना हाईकोर्ट के फैसले से कुछ घंटे पहले ही बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा था जातीय जनगणना सब के हित में है। उन्होंने कहा ये बात उनकी समझ से परे हैं कि लोग इसका विरोध क्यों कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि जातीय जनगणना से सबको फायदा होगा। इसके साथ ही बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना नहीं कराने के लिए केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा था।