नई दिल्ली। देश से भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए ईडी के डायरेक्टर संजय कुमार के नेतृत्व में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ लगातार छापेमारी की कार्रवाई की जा रही है जिससे भ्रषटाचारियों में हड़कंप मचा हुआ। इस बीच प्रवर्तन निदेशालय के डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल को तीसरी बार बढ़ाए जाने के केंद्र सरकार के फैसले को लेकर सवाल उठ रहे हैं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या वह इतना महत्वपूर्ण हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या एक व्यक्ति इतना अपरिहार्य हो सकता है। इससे पहले 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ईडी के डायरेक्टर का कार्यकाल पूरा होने के बाद उसके कार्यकाल को छोटी अवधि के लिए ही बढ़ाया जाना चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि मिश्रा को और एक्सटेंशन नहीं देना चाहिए। लेकिन जिस तरह से तीसरी बार संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाया गया है उसपर कोर्ट ने कहा क्या संगठन में कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है जो इस जिम्मेदारी को उठा सके। क्या एक व्यक्ति इतना अपरिहार्य है।

कोर्ट ने कहा आपके अनुसार ईडी में कोई इतना योग्या नहीं है। 2023 के बाद क्या होगा, जब वह रिटायर हो जाएंगे। जस्टिस बीआर गवई, विक्रम नाथ और संजय करोल की बेंच ने केंद्र की ओर से पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से तीखे सवाल किए।

दरअसल तुषार मेहता ने कहा कि संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल को बढ़ाना प्रशासनिक वजह से जरूरी है। इसपर कोर्ट ने तुषार मेहता से तीखे सवाल किए। तुषार मेहता ने कहा कि कोई भी अपरिहार्य नहीं है लेकिन इस तरह के मामलों में निरंतरता जरूरी है। तुषार मेहता ने कहा कि हम किसी एक व्यक्ति से डील नहीं कर रहे हैं बल्कि यह पूरे देश के प्रदर्शन की बात है।

बहस की शुरुआत में तुषार मेहता ने कहा कि मुझे इस बात पर गहरी आपत्ति है कि जिस राजनीतिक व्यक्ति ने यह याचिका दायर की है उसके खिलाफ ईडी की जांच चल रही है। इन लोगों के नेताओं के खिलाफ ईडी की जांच चल रही है। यह महज राजनीतिक जांच नहीं है। एक केस में तो कैश गिनने के लिए मशीन तक लानी पड़ गई। क्या कोर्ट इस तरह की याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, जिसके जरिए याचिकाकर्ता ईडी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।