रायपुर : छत्तीसगढ़ में राजनीती अपने चरम पर है। प्रदेश में शराब घोटाले का मामल तूल पकड़ता दिखाई दे रहा हैं। ED ने 2 हजार करोड़ के शराब घोटाले का आरोप लगाया हैं जिसे लेकर कांग्रेस के कई बड़े नेता ED के घेरे में हैं। वही विपक्ष और सत्ता पार्टी एक दूसरे के ऊपर आरोप लगाने में लगी हुई हैं। इसी कड़ी में आज कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। PC में प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने भाजपा सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रमन सरकार ने 4400 करोड़ का शराब घोटाला किया था। ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने नियम में बदलाव किए गए।

3 साल की CAG की रिपोर्ट में भी कई बातें सामने आई थी। शराब लाइसेंस की शर्तों को भी बदला गया। समुद्र राम सिंह को रमन सरकार ने नियमों के खिलाफ जाकर उसे लंबे समय तक नियुक्ति पर रखा, जिसके बाद EOW ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था। सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस मांग करती है कि ED तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह, पूर्व आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल और गणेशंकर मिश्रा के खिलाफ भी 4400 करोड़ के घोटाले की जांच की जाए।

सुशील आनंद शुक्ला ने पत्रकारवार्ता लेकर आरोप लगाया कि डॉ. रमन सिंह की सरकार ने वर्ष 2012-17 के बीच सरकार ने शराब ठेकेदारों से मिली भगत कर लगभग 4400 करोड़ रूपयों का भ्रष्टाचार किया। रमन सरकार ने भी अपने कार्यकाल में दशकों से चली आ रही आबकारी नीति को परिवर्तित कर दिया था, वैसे ही जैसे दिल्ली की आप सरकार ने किया है। दिल्ली की सरकार ने आबकारी नीति में परिवर्तन किया तो भाजपा ने आरोप लगाया कि घोटाला करने के उद्देश्य से शराब निर्माताओं को फायदा पहुंचाने के लिए यह नीति परिवर्तित की गई। वहां के उप मुख्यमंत्री को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है, वे जेल में हैं। ऐसे ही नीति परिवर्तन के लिए रमन सिंह की तत्कालीन भाजपा सरकार के खिलाफ भी जांच की जानी चाहिए।

प्रदेश के आबकारी विभाग में वर्ष 2012 से 2017 के बीच शासन के उच्चस्तरीय संरक्षण में प्रदेश में मौजूद शराब उत्पादकों को फायदा पहुंचाने एवं करोड़ों के कमीशनखोरी किये जाने के उद्देश्य से बिना मापदण्डों का पालन किये उनके उत्पाद को IMFL (इंडियन मेड फॅरिन लिकर) की कैटेगरी में शामिल करते हुऐ शराब बिक्री में ठेकेदारों को अधिक मुनाफा दिया. इन अवैधानिक तरीके से IMFL श्रेणी की केटेगरी में रखी गई शराब को प्रदेश में ऊंची दरों पर बेचने का कार्य करते हुए कई सौ करोड़ रूपयों की कमीशनखोरी कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है।

रमन सरकार द्वारा मदिरा के सेल प्राईज फिक्सेशन में देशी शराब के निविदाकर्ता / लाइसेंसी को वर्ष 2012-13 एवं 2013-14 में 60 प्रतिशत तथा वर्ष 2014-15 से 2016-17 तक 50 प्रतिशत का मुनाफा प्रदान किया गया, जो कि अन्य राज्यों से ढाई गुना अधिक था। सीएजी ने भी इस पर आपत्ति जताई थी। रमन सरकार द्वारा देशी/विदेशी मदिरा के निविदाकर्ताओं को अत्यधिक मुनाफा दिए जाने के कारण वर्ष 2012-13 से 2016-17 के मध्य विदेशी शराब के रिटेलर्स को 946.79 करोड और इसी अवधि में देशी शराब के रिटेलर्स को 567.13 करोड़ का अवैध लाभ पहुंचाया गया।

सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि तत्कालीन आबकारी विभाग ने विभिन्न निविदाकर्ताओं / लाइसेंसी शराब ठेकेदारों के साथ आपराधिक षड़यंत्र करते हुए विक्रय कर निर्धारण में कुछ शराब निर्माताओं को फायदा पहुंचाने छत्तीसगढ़ राज्य के मंदिरा की फुटकर बिक्री अनुज्ञापनों के व्यवस्थापन नियमों में दर्शित लाइसेंसी शर्तों में गलत परिवर्तन कर अवैध रूप से देशी/विदेशी मदिरा के फुटकर बिक्री मूल्य निर्धारण करने के दौरान वर्ष 2012-13 से 2016-17 के मध्य देशी/विदेशी मदिरा के फुटकर निविदाकर्ताओं को अधिक मुनाफा प्रतिशत प्रदान कर अनुचित लाभ प्रदान किया गया, जिससे राज्य शासन का लगभग 4400 करोड़ रूपयों की आर्थिक क्षति कारित किया गया।

सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि इस प्रकार भाजपा की तत्कालीन सरकार ने इस महाघोटाले को अंजाम देने के लिए रमन सिंह ने अपने खास अधिकारी समुन्द राम सिंह को रिटार्यमेंट के बाद नियमों के खिलाफ जाते हुए 9 साल लगातार सेवा वृद्धि देते हुये आबकारी विभाग में ओएसडी के पद पर कार्यरत रखा। शासन के इशारे पर उक्त अधिकारी ने इस हजारों करोड़ के आबकारी घोटाले को अंजाम दिया। संविदा पर पदस्थ अधिकारी को नियमानुसार वित्तीय अधिकार नहीं होते पर तत्कालीन सरकार के संरक्षण में उक्त अधिकारी ने नियमों की अवहेलना करते हुए वित्तीय अधिकारी का दुरूपयोग करते हुए आबकारी नीति बनाते हुये इस महाघोटाले में सरकार का साथ दिया।

शुक्ला ने कहा कि वर्ष 2018 में संविदा पर पदस्थ ओएसडी समुन्द्र सिंह प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के दूसरे दिन इस्तीफा देकर फरार हो गए. उक्त भ्रष्टाचार की शिकायत दस्तावेजो के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से किये जाने पर मुख्यमंत्री ने उक्त भ्रष्टाचार की जाय ईओडब्ल्यू को सीपी, जिस पर ईओडब्लू ने जाच कर इस महाघोटाले पर मोहर लगाते हुए 26 अप्रैल 2019 को समुन्द्र सिंह के आठ ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई की।

आनंद शुक्ला ने कहा कि राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरों रायपुर में अपराध क्रमांक 12/19 धारा 7(सी) म.नि.अधि. 1988 यथा संशोधन 2018 सहपठित धारा 420, 467,468,471 सा.द.वि. दिनांक 20.04.2019 कायम की गई. 10 माह तक फरार रहने के बाद ईओडब्ल्यू ने समुद्र सिंह को गिरफ्तार कर कोर्ट में चलान पेश करते हुये जेल भेजा, जिसमें समुन्द्र सिंह की जमानत एक बार सुप्रीम कोर्ट से खारिज होने के 2 वर्ष बाद हुई। वर्तमान यह प्रकरण अदालत में जारी है।

आनंद शुक्ला ने कहा कि शिकायतकर्ता ने रमन सरकार के दौरान बदली गई शराब नीति के खिलाफ ईडब्ल्यूओं में शिकायत की थी। शिकायत के जांच में तत्कालीन आबकारी अधिकारी समुद सिंह के ऊपर कार्रवाई की गई। कांग्रेस मांग करती है इस जांच के दायरे में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह, तत्कालीन आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल, तत्कालीन आबकारी सचिव एवं आबकारी आयुक्त गणेश शंकर मिश्रा की कार्यप्रणाली को भी जांच के दायरे में लिया जाए, क्योंकि यह 4400 करोड़ का संगठित घोटाला था। शराब घोटाले से मिलने वाली 4400 करोड़ की कमीशन की राशि किस खाते में जाएगी।

आनंद शुक्ला ने कहा कि इस बात को लेकर रमन सरकार के केबिनेट बैठक में दो मंत्रियों में विवाद हुआ था ये रमन सरकार की शराब घोटाले का प्रमाण है। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ की रमन सिंह के द्वारा 2017 में बनाई गयी आबकारी नीति में कोई परिवर्तन नहीं किया गया। रमन सरकार के समय वर्ष 2017-18 में छत्तीसगढ़ की आबकारी से राजस्व प्राप्ति 3900 करोड़ रुपये थी, जो कांग्रेस की सरकार बनने के बाद वर्ष 2019-20 में 6000 करोड़ रू. हो गयी।

आनंद शुक्ला ने कहा कि रमन सरकार की तुलना में राजस्व प्राप्ति दुगुनी हो गई। इस प्रकार स्पष्ट हो रहा है कि रमन सरकार के समय सुनियोजित आबकारी घोटाला हो रहा था, जिससे सरकार के राजस्व में हानि हो रही थी। हमारे सरकार को बदनाम करने के लिये भाजपा के ईशारे पर ईडी घोटाले के मिथ्या आरोप लगा रही है, जबकि हमारे सरकार के समय राजस्व बढ़ा है। ऐसे में रमन सरकार के घोटाले जिसमें स्पष्ट तौर पर राजस्व की कमी से भी साबित है. सीएजी ने भी सवाल खड़ा किया था की जांच करने का साहस ईडी क्यों नहीं दिखा रही है? हमारी मांग है कि रमन सरकार के इस शराब घोटाले की ईडी जांच करे।