HATHI PAR HAMLA

0 बढ़ता जा रहा है मानव-हाथी द्वंद्व 0 वन अमले की लापरवाही हुई उजागर

कोरबा। प्रदेश का कोरबा उन जिलों में से है, जहां के घने जंगलों में हाथियों की बहुतायत है, और यहां आये दिन हाथियों के हमले से लोगों की जान जा रही है। यही वजह है कि वनांचल में हाथियों और मानव के बीच द्वंद बढ़ता ही जा रहा है। हालात किस कदर गंभीर हो चले हैं, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोग अब हाथियों पर तीर कमान और कुलहाड़ी से हमला भी करने लगे हैं।

ऐसी ही एक घटना का वीडियो कोरबा वन परिक्षेत्र से सामने आया है, जहां कुछ ग्रामीण बिजली के हाईटेंशन टाॅवर पर चढ़कर हाथियों के झुंड पर टांगी और तीर कमान से हमला कर रहे हैं। टावर पर चढ़ा एक ग्रामीण हाथ में टंगिया पकडे हुए है और उसे हाथियों की और फेंक रहा है। कोरबा वनमंडल में करीब 23 हाथियों का दल विचरण कर रहा है। सामने आए वीडियो में साफ-साफ देखने को मिल रहा है कि ग्रामीण हाथियों को किस तरह निशाना बना रहे है। इस दौरान ग्रामीण भरी शोरगुल मचा रहे हैं और हाथियों को भगाने की कोशिश कर रहे हैं। एक अन्य वीडियो में बड़ी संख्या में ग्रामीण हाथियों को देखने पहुंचे हुए हैं और उनके नजदीक आते ही डरकर भाग रहे हैं।

वन कर्मियों की नहीं थी मौजूदगी

इस विजुअल को देखकर समझ आ रहा है कि मौके पर कोई भी वन कर्मी मौजूद नहीं है, जिसके चलते ग्रामीण यह हरकत कर रहे हैं। कायदे से हाथियों के विचरण स्थल के आसपास वन अमले की मौजूदगी जरुरी है, ताकि वे उन्हें ट्रेस करते हुए उनके अवगामन की जानकारी देते हुए विभाग और ग्रामीणों को आगाह कर सके।

ग्रामीणों के रवैये से हाथी और उग्र होंगे

छत्तीसगढ़ राज्य वन्यजीव बोर्ड के सदस्य मंसूर खान ने लोगों से अपील की है कि इस तरह हाथियों से छेड़छाड़ ना करें, ऐसा करने से हाथी हमलावर हो सकते हैं। बता दें कि मंसूर खान हाथियों के रहन-सहन और उनके स्वाभाव के अच्छे जानकर हैं, और वे हाथी-मानव संघर्ष को दूर करने की मुहिम बरसों से चला रहे हैं।

TRP न्यूज़ से बातचीत में मंसूर खान ने कहा कि हाथियों को न छेड़ें तो वे अपने रास्ते निकल जाते हैं। प्रदेश में हाथियों के द्वारा की जाने वाली अधिकांश घटनाएं इसी की वजह से होती हैं। कायदे से जिन इलाकों में हाथी विचरण कर रहे हैं, उधर जाना ही नहीं चाहिए। वहीं दूसरी और वन अमले को भी अलर्ट रहने की जरुरत है। हाथियों के इलाके में वनकर्मियों की मौजूदगी नहीं होना गंभीर बात है। अगर वन अमला मौजूद हो तो ग्रामीण इस तरह की हरकत नहीं करेंगे। वन्य अधिकारियों को इस ओर ध्यान देने की जरुरत है।