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कवर्धा। श्रम विभाग में लेबर‌ लाइसेंस बनाने के एवज में 10 से 12 हजार रुपए का रिश्वत लेने के मामले में शिकायत के बाद जांच हुई और इसमें श्रम अधिकारी की भूमिका सामने आयी। मामले की जांच रिपोर्ट जब कार्रवाई के लिए शासन को भेजी गई तब अधिकारी ने उलटे जांच अधिकारी के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका लगा दी। इस पूरे प्रकरण में चॉइस सेंटर और विभाग के कर्मियों की मिलीभगत से वसूली की बात उजागर हुई है।

लायसेंस रिनिवल के नाम पर वसूली

रिश्वतखोरी का यह मामला कवर्धा (कबीरधाम) जिले का है, जहां श्रम पदाधिकारी के तौर पर शोएब काजी पदस्थ हैं। कुछ समय पूर्व लेबर ठेकेदार बृजेश गुप्ता ने वसूली किये जाने की शिकायत कलेक्टर से की।‌ बृजेश गुप्ता ने बताया कि श्रम अधिकारी शोएब काजी द्वारा हर साल ठेकेदारों से लाइसेंस रिनिवल के‌ नाम पर 10 से 12 हजार रुपए लिए जाते हैं। अब तक तकरीबन 80 से ज्यादा ठेकेदारों से लाखों रूपए की वसूली की जा चुकी है। इतना ही नहीं अधिकारी द्वारा ठेकेदारों को कलेक्टर, विधायक और मंत्री से शिकायत करने पर भी कुछ नहीं होने की धमकी भी दी जाती है।

चॉइस सेंटर के माध्यम से पैसे का लेनदेन

शिकायत में यह भी बताया गया था कि कवर्धा के चॉइस सेंटर योगी कंप्यूटर से ऑनलाइन फॉर्म भरने पर ही उनके आवेदन स्वीकृत किये जाते थे। श्रम कार्यालय में जाने पर पदाधिकारी काजी और कर्मचारी धनंजय कौशिक द्वारा उन्हें योगी कंप्यूटर से ही ऑनलाइन आवेदन जमा करने को कहा जाता है। दरअसल इसी केंद्र में ठेकेदारों से अधिकारियों के नाम पर रूपये लिए जाते थे। नहीं देने पर उनका आवेदन रिजेक्ट कर दिया जाता था।

ठेकेदारों के अलावा श्रम विभाग की दूसरी योजनाओं के फॉर्म भी योगी कंप्यूटर से भरवाए जाने और अलग से पैसे वसूले जाने की शिकायत हितग्राहियों द्वारा की गई थी।

जांच में नहीं किया सहयोग

कवर्धा कलेक्टर ने इस मामले की जांच का जिम्मा अपर कलेक्टर इंद्रजीत बर्मन को सौंपा, जिसके बाद अपर कलेक्टर ने सबसे पहले श्रम पदाधिकारी काजी से अपने यहां पंजीकृत ठेकेदारों की सूची मांगी, मगर काजी ने सूची नहीं दी। इतना ही नहीं जब जांच अधिकारी ने श्रम पदाधिकारी से विभाग के हितग्राहियों की सूची मांगी तो उन्होंने यह सूची भी उपलब्ध नहीं कराई।

बयान की हुई वीडियो रिकॉर्डिंग

श्रम पदाधिकारी ने जब लेबर ठेकेदारों की सूची नहीं उपलब्ध कराई तब जांच अधिकारी ने उद्योग विभाग से ठेकेदारों की सूची हासिल कर ली और सभी को अपना बयान देने के लिए बुलाया। इस दौरान ठेकेदारों ने एक स्वर में बताया कि उनसे लेबर लायसेंस बनाने और रिनिवल करने के नाम पर मोटी रकम वसूल की गई। रूपये नहीं देने पर उनके आवेदन को सीधे निरस्त कर दिया जाता था। बताया गया कि लगभग 50 ठेकेदारों से रूपये लिए गए। जांच अधिकारी इंद्रजीत बर्मन ने सभी के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग कराई।

चॉइस सेंटर के बाद श्रम कार्यालय बना वसूली का केंद्र

जांच के दौरान अनेक ठेकेदारों और पीड़ित हितग्राहियों ने बताया कि एक समय ऐसा भी आया जब चॉइस सेंटर योगी कंप्यूटर से उनका आवेदन फॉर्म भरवाना बंद करवा दिया गया। इसके बाद यह काम श्रम कार्यालय में प्लेसमेंट पर रखे गए दो कर्मचारियों धनंजय कौशिक और अनिल देशमुख ने संभाल लिया। यहां अनिल देशमुख अपने कंप्यूटर पर लोगों के आवेदन ऑनलाइन भरता और धनंजय कौशिक उनसे रूपये वसूलता। धनंजय ने तो अनेक हितग्राहियों से ऑनलाइन रूपये लिए, जिसके स्क्रीन शॉट भी जांच अधिकारी को दिए गए और यह भी बताया गया की कौशिक द्वारा अपने और अपनी पत्नी के खाते में ऑनलाइन रूपये लिए गए। इसकी जांच की जाये तो सच उजागर हो जायेगा।

जांच प्रतिवेदन भेजा शासन को

अपर कलेक्टर इंद्रजीत बर्मन ने इस मामले की जांच का प्रतिवेदन कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया, जिसके बाद कलेक्टर ने कवर्धा के श्रम पदाधिकारी शोएब काजी को जिले से हटाने और प्लेसमेंट पर काम कर रहे धनंजय कौशिक और अनिल देशमुख को नौकरी से हटाने की अनुशंसा का पत्र राज्य शासन को प्रेषित कर दिया है।

चॉइस सेंटर का लायसेंस निरस्त

इस मामले की जांच के दौरान चॉइस सेंटर योगी कंप्यूटर के संचालक को भी बयान देने के लिए तलब किया गया। संचालक ने यह स्वीकार किया कि लेबर ठेकेदारों और हितग्राहियों का ऑनलाइन फॉर्म श्रम कार्यालय से भरना शुरू करने के बाद उसके यहां यह काम काफी कम हो गया था। ऐसा क्यों हुआ इसका जवाब वह नहीं दे सका।

हाईकोर्ट की शरण में “काजी”

इस मामले की जांच के दौरान सहयोग नहीं करने वाले कवर्धा के श्रम पदाधिकारी शोएब काजी ने उलटे इस मामले में जांच अधिकारी अपर कलेक्टर इंद्रजीत बर्मन के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। काजी ने मीडिया से चर्चा में अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को गलत बताया और कहा कि जब सारा काम ऑनलाइन होता है तो वे किसी से रिश्वत कैसे ले सकते हैं। उन्होंने इस मामले में हाई कोर्ट में इंद्रजीत बर्मन के खिलाफ व्यक्तिगत रूप से याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई चल रही है।

पूरे प्रदेश का यही हाल

कवर्धा जिले के श्रम विभाग में जिस तरह की रिश्वतखोरी का मामला उजागर हुआ है, वैसा ही पूरे प्रदेश के श्रम कार्यालयों में होने की शिकायते सामने आ रही हैं। श्रम ठेकेदारों और हितग्राहियों से जमकर वसूली की जा रही है। शासन-प्रशासन ने अगर इस ओर ध्यान नहीं दिया तो एक समय ऐसा आएगा जब लोगों का गुस्सा फूटेगा और वे सीधे इसकी शिकायत के लिए उठ खड़े होंगे।

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