यूनीपोल घोटालाः

रायपुर। नगर निगम में 27 करोड़ के यूनीपोल घोटाले के मामले में नगर निगम के कमिश्नर मयंक चतुर्वेदी ने नगर निवेश विभाग के एक बड़े और एक छोटे अधिकारी को मुख्यालय में ही पीडब्ल्यूडी विभाग में अटैच कर दिया है।

मिली जानकारी के अनुसार जांच पूरी होने तक ये दोनों अधिकारी पीडब्ल्यूडी विभाग में ही काम करेंगे। गड़बड़ी को लेकर निगम की यह पहली कार्रवाई है।

बता दें कि 27 करोड़ रुपए के यूनिपोल घोटाले में नगर निगम के अफसरों ने 17 बिंदुओं पर अपना जवाब समिति को सौंप दिया। अफसरों के इस जवाब का विश्लेषण और प्रतिपरीक्षण करने के बाद समिति अगले 10 से 12 दिनों में फाइनल रिपोर्ट तैयार करेगी।

इस बारे में महापौर एजाज ढेबर का कहना है कि कई बिंदुओं पर अफसर स्पष्ट जवाब ही नहीं दे पा रहे रहे हैं। इससे साफ होता है कि अफसरों ने यूनिपोल लगाने वाली कंपनी के इशारों पर ही पूरा काम किया है। महापौर ने कहा कि निगम में ऐसा पहली बार हुआ है जब इस पूरे मामले निगम के संबंधित अफसर ही सबसे ज्यादा दोषी हैं।

कंपनी ने जैसा-जैसा प्रस्ताव दिया, उसे स्वीकार कर लिया गया। अफसरों ने अपने स्पष्टीकरण में कहा कि तत्कालीन परिस्थिति के आधार पर निर्णय लिया गया। वहीं टेंडर के 11 नंबर कंडिका में यह स्पष्ट लिखा गया है कि साइज नहीं बढ़ाई जा सकती। 14 बाई 18 को अफसरों ने कंपनी के प्रस्ताव पर 18 बाई 18 कर दिया। अफसर यह भी नहीं बता पाए कि चार महीने में कंपनी को 51 बोर्ड की अनुमति कैसे दी गई।

शास्त्री चौक में एक कंपनी का रेट 900 से 1100 रुपए प्रति वर्गफीट है जबकि वहीं पर दूसरी कंपनी का रेट 350 रुपए है। अधिकारियों द्वारा दिए गए सवालों के जवाबों को क्रॉस चेक किया जाएगा। इसके बाद ही अंतिम रिपोर्ट तैयार की जाएगी। रिपोर्ट में जो भी दोषी होगा, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

नगर निवेश और राजस्व विभाग में सालों से जमे अफसरों और कर्मचारियों में बड़ा फेरबदल किया जाएगा, ताकि इस तरह की गड़बड़ी दोबारा न हो सके। नगर निवेश विभाग के अध्यक्ष श्रीकुमार मेनन ने कहा कि इस मामले में अब शासन स्तर पर भी जांच चल रही है। खबर है कि घोटाले से जुड़ी फाइल निगम ने शासन को भेज दी है।

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