MAKKA FINAL

रायगढ़। प्रदेश में DMF की राशि को खर्च करने में न तो गाइडलाइन का पालन किया गया, न ही इसे खनन प्रभावितों के कल्याण में लगाया गया। पिछले 3 सालों में केवल सामग्रियों की खरीदी में ही डीएमएफ का फंड खपा दिया गया। रायगढ़ जिले में इन्हीं में से एक काम करोड़ों के मक्का मक्का बीज के वितरण का भी था। खरीदी और वितरण पर संदेह जताने पर अब कृषि विभाग इसकी खुद ही जांच कर रहा है। उप संचालक ने मैदानी अमले को जांच का आदेश दिया है।

DMF की सर्वाधिक रकम कृषि विभाग को

देखा अजय तो पूरे प्रदेश में डीएमएफ से सामग्री खरीदी के लिए सबसे ज्यादा राशि कृषि विभाग को दी गई है। वर्ष 20-21 में रायगढ़ जिले के 9 ब्लॉकों में करीब 12 हजार किसानों को 5050 हेक्टेयर में खेती के लिए हायब्रिड मक्का बीज खरीदने का आदेश दिया गया। राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड को बीज सप्लाई करने का आदेश दिया गया। 26 अक्टूबर 2020 को 1117.20 क्विंटल मक्का बीज 17900 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदी गई। 1,99,97,880 रुपए का मक्का खरीदा गया और किसानों को बांटा गया। जून में बीज दिए गए मतलब 20-21 में ही फसल भी ली जानी थी।

अगले साल फिर हुई खरीदी

इसी तरह 21-22 में फिर से नौ ब्लॉकों के 12625 किसानों के 5050 हे. रकबा में नि:शुल्क मक्का बीज खरीदने की मंजूरी कृषि विभाग को फिर से दी गई। इसके लिए 1,99,98,000 रुपए उप संचालक कृषि के नाम पर जारी किए गए। 14 जून को मंजूरी दी गई और 16 जून 2021 को एनएससी भोपाल को क्रय आदेश दिया गया। इस बार 195 रुपए किलो मतलब 19500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 925 क्विं. बीज खरीदकर वितरण किया गया।

किसानों ने उगाया तो कहां गया मक्का..?

दो सालों में चार करोड़ के हायब्रिड मक्का बीज किसानों को बांटे गए, जबकि खेती और उत्पादन के आंकड़े देखें जाएं तो कृषि विभाग अपने ही जाल में फंसता दिख रहा है। सवाल ये उठता है कि अगर किसानों ने दो साल में 4 करोड़ का ने मक्का बीज उगाया होता तो जिले में उत्पादन कई गुना बढ़ जाना था। खुद विभाग के उत्पादन का आंकड़ा बढ़ जाता। जबकि विभाग में दर्ज आंकड़ों में उत्पादन बेहद कम है। जिले में मक्के का एक दाना न तो सोसाइटी ने खरीदा और न ही मंडी ने।

जिन्होंने वितरण किया अब वही करेंगे जांच..!

इस मामले में अब डीडीए अनिल वर्मा ने जांच के आदेश दिए हैं। DMF की राशि के मनमानीपूर्वक इस्तेमाल के मामले में कृषि विभाग में परत-दर-परत खुलासे हो रहे हैं। दो सालों में खरीदे गए मक्का बीज का क्या किया गया, यह अहम सवाल है। जिन अधिकारियों के सहारे मक्का बीज का वितरण कराया गया, अब वही जांच करेंगे। इससे यह तो कतई नहीं लगता कि मामले में कोई सच्चाई सामने आ सकेगी। जिले के तेज-तर्रार मुखिया को चाहिए कि इस मामले की किसी दूसरे विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के नेतृत्व में टीम गठित कर जांच करनी चाहिए, ताकि करोड़ों के मक्का बीज की खरीदी और उसके वितरण की हकीकत सामने आ सके।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटरयूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्रामकू
 पर