HIGH COURT

बिलासपुर। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सेवाओं में कमी और दवाओं के दुरुपयोग को लेकर दायर जनहित याचिका शासन से जवाब मिलने के बाद हाईकोर्ट ने निराकृत कर दी।

अधिवक्ता एसबी पांडे ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सरकारी वफ अस्पतालों में डॉक्टर एवं स्टाफ की कमी है। दवा उपकरणों की भी कमी है। दवाइयां वितरित करने से पहले ही एक्सपायरी हो जाती है। कचरे के ढेर में दवाएं मिलती हैं। सिम्स में इलाज के दौरान लापरवाही बरती जाती है और स्वास्थ्य विभाग व्यवस्था में सुधार के लिए कदम नहीं उठा रहा है।

अच्छे इलाज के लिए दिया शपथ पत्र

मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस राकेश मोहन पांडे की डिविजन बेंच में 4 मई को हुई थी। कोर्ट ने संचालक स्वास्थ्य सेवा को शपथ पत्र के साथ जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। इस पर शासन की ओर से 11 मई को महाधिवक्ता ने जवाब प्रस्तुत किया। इसमें कहा गया कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू रूप से चलाया जाएगा और जरूरतमंदों को उचित समय पर दवाई और इलाज उपलब्ध कराया जाएगा। इस संबंध में शासन की ओर से दिए गए प्रयासों और निर्णयों की भी जानकारी उन्होंने दी। शासन के जवाब से याचिकाकर्ता ने संतोष व्यक्त किया। इसके बाद हाई कोर्ट में याचिका निराकृत कर दी।

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