Today Is The 10th Anniversary Of The Jheeram Incident - झीरम कांड.. वारदात की साजिश और मास्टरमइंड कमांडर
Today Is The 10th Anniversary Of The Jheeram Incident - झीरम कांड.. वारदात की साजिश और मास्टरमइंड कमांडर

टीआरपी डेस्क

रायपुर। झीरम कांड की आज 10वीं बरसी है। आज भी इस नृशंस हत्याकांड को राजनितिक षड़यंत्र तो कोई नक्सली वारदात बताता है। झीरम में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व सहित 33 लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। इस खूनी खेल का मास्टरमाइंड कौन था, साजिश किसने और कहां रची अब भी यह राज़ ही है। कमोबेश इस राज़ का पर्दा फ़ाश कब होगा यह भी यक्ष प्रश्न है।

हालांकि NIA और अन्य एजेंसियों के जांच, प्रत्यक्षदर्शियों के बयान और कांग्रेस के दावों में खासा मतभेद है। कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर किए गए हमले में प्रदेश के प्रथम पंक्ति के आला भी थे और भविष्य के नेता भी जो एक साथ हलाक हुए। इस कांड का एक अहम् सूत्र होने का दावा करने वाले पूर्व नक्सली कमांडर प्रकाश की जुबानी है, कथित कहानी के मुताबिक हमले के बाद हिकुम गांव में हुई थी समीक्षा बैठक।

कथित कमांडर का दावा हिड़मा नहीं देवजी ने दिया था वारदात को अंजाम। बताते हैं कि झीरम घाटी में 800 नक्सलियों की थी मौजूदगी और नक्सलियों के सबसे डेंजर सेंट्रल रीजनल कमांड था हमले में शामिल। फिर हिकुम में 30 दिनों तक चली प्रैक्टिस फिर हमले के बाद मिली कामयाबी का हिसाब-किताब और समीक्षा भी यहीं की गई थी। मिडिया में खबरे और पूर्व आरोपी के बताये मुताबिक इन दावों की पुष्टि टीआरपी नहीं करता है।

हिकुम के जंगल में हुई थी साजिश की प्रेक्टिस

दरभा घाटी का भौगोलिक परिदृश्य हिकुम के जंगल में तैयार किया गया था। नक्सली हमले की प्रेक्टिस बस्तर, सुकमा और दंतेवाड़ा के सीमावर्ती इलाके में स्थित हिकुम गांव के जंगल में झीरम कांड को अंजाम देने के लिए नक्सलियों द्वारा एक महीने तक प्रैक्टिस की गई थी। गांव के समीप जंगल में अस्थाई रूप से दरभा घाटी तैयार कर जवानों को टारगेट करने के लिए 30 दिनों तक रोजाना सुबह-शाम प्रैक्टिस चलती रही। इस दौरान बड़ी संख्या में मौजूद नक्सलियों के लिए खाने-पीने का पूरा इंतजाम आसपास के गांव वालों के द्वारा किया गया था।

बैलाडीला खदान के बारूद से खूनी इंतज़ाम

जिस बारूद से झीरम नरसंहार की पटकथा लिखी गई थी वह बैलाडीला खदान का था। झीरम घाटी में नक्सलियों द्वारा अलग-अलग हिस्सों में छोटे-बड़े कई आईईडी लगाए थे। सुकमा से परिवर्तन रैली समाप्त करने के बाद कांग्रेसियों का काफिला जैसे ही घाटी पहुंची तो वहां सामने चल रही गाड़ी को ब्लास्ट कर के उड़ा दिया गया। मदद न पहुँच पाए इसके लिए भी बैकअप फोर्स रोकने के लिए झीरम घाटी के आगे पीछे सीआरसी टू के लड़ाकू को तैनात किया गया था। या सब विस्फोटक इंतेज़ाम बैलाडीला खदान से लूटी बारूद और पटाखे की बारूद से किया था नक्सलियों ने।

सबसे डेंजर सेंट्रल रीजनल कमांड की भूमिका

नक्सलियों के सबसे खतरनाक लड़ाकू दस्ते को सीआरसी (सेंट्रल रीजनल कमांड) के नाम से जाना जाता है। इस दल में शामिल नक्सली सदस्यों की आयु 20 से 30 वर्ष के बीच की होती है। दंडकारण्य में काम करने वाले मिलिशिया कमेटी, एरिया कमेटी, प्लाटून और कंपनी में सक्रिय बेहतर कद-काठी और लड़ाकू प्रवृत्ति के नक्सली को सीआरसी में शामिल किया जाता है। नक्सली संगठन में अभी तक सीआरसी-1, 2 और 3 की स्थापना की गई है। सीआरसी-1 में शामिल नक्सली सदस्यों की जिम्मेदारी सेंट्रल कमेटी के शीर्ष नक्सली लीडरों की सुरक्षा व्यवस्था करना होता है। वहीं सीआरसी- 2 और 3 के नक्सलियों को थाना, कैंप और जवानों पर हमला करने की जिम्मेदारी दी जाती है। गढ़चिरौली, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा के साथ छत्तीसगढ़ में बड़ा हमला करने के लिए इसे संगठन में रखा गया है। ताड़मेटला में 76 जवानों की हत्या में सेंट्रल रीजनल कमांड की नक्सलियों की भूमिका रही है।

खूफिया तंत्र की नाकामी, 800 थे नक्सली

ख़ुफ़िया तंत्र की पोल खोलने वाली इस वारदात में आज तक जिम्मेदारी तय नहीं हुई है। नक्सली हमले में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की हत्या को लेकर सेन्ट्रल रीजनल कमांड के पूर्व नक्सली कमांडर प्रकाश ने बताया कि घटना को अंजाम देने के लिए सीआरसी- 2 के करीब 300 हार्डकोर नक्सली आधुनिक हथियारों से लैस होकर पहुंचे थे। 300 नक्सलियों की मदद के लिए दरभा, दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर से आएं जन मिलिशिया कमेटी के करीब 500 नक्सलियों को लगाया गया था। इसमें नक्सलियों के ब्रेकअप पार्टी और मेडिकल टीम के सदस्य भी शामिल रहे हैं।

हिड़मा कहीं और था देवजी था कमांडर

आत्मसमर्पित नक्सली कमांडर ने बताया कि घटना के वक्त हिडमा अपने लड़ाकू दस्ते के साथ ग्रेहाउंड फोर्स को टारगेट करने के लिए सुकमा, आंध्र और तेलंगाना के बॉर्डर में गया हुआ था। 24 और 25 मई के दौरान हिडमा का लोकेशन सुकमा के बटुम गांव के आसपास था। पूर्व नक्सली कमांडर ने बताया कि झीरम हमले की पूरी जिम्मेदारी देवजी के हाथों में थी। सेंट्रल कमेटी के शीर्ष नक्सली लीडरों के साथ वॉकी-टॉकी में बात कर देवजी के द्वारा घटना को अंजाम दिया गया है। देवजी के साथ जयलाल और सिरदार सहित अन्य बड़े नक्सली कमांडर भी मौजूद थे।

आज प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में मिडिया संचार विभाग के प्रभारी सुशील शुक्ल समेत समस्त कांग्रेस पदाधिकारियों ने झीरम के शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित किया।