When Was The FIR In The Unipol Scam -27 Cr. के यूनिपोल घोटाले में FIR तो दूर, जांच भी बंद
When Was The FIR In The Unipol Scam -27 Cr. के यूनिपोल घोटाले में FIR तो दूर, जांच भी बंद

विशेष संवादाता

रायपुर। निगम अफसरों और नेताओं द्वारा किया गया यूनिपोल और स्मार्ट टॉयलेट घोटाला की जांच महापौर एजाज ढेबर और MIC के वरिष्ठ सदस्यों ने बंद कर दिया है। अब तक इस करोड़ों रूपये के स्केम की जांच में मेयर ढेबर ने EOW तक में अपराध दर्ज करवाने की बात कहे थे, लेकिन EOW और पुलिस में FIR तो दूर जांच समिति भी निरस्त कर दी गई है। वजह है इस अनोखे घोटाले की जांच प्रशासनिक स्तर पर की जाएगी। इसके लिए शासन ने जांच समिति में जिम्मेदारी भी निर्धारित कर दी गई है। जानकारी के मुताबिक रायपुर नगर निगम में हुए यूनिपोल-टॉयलेट घोटाले की जांच के लिए अर्बन सेक्रेटरी अयाज़ तंबोली और नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारी आशीष टिकरिहा को सौंपी गई है।

अब तक निगम की जांच टीम के सामने घोटाले से सम्बंधित जो भी बिंदु तय किये गए थे उनकी पूरी जानकारी मयदस्तावेज़ नई प्रशासनिक जांच कमिटी को सौंप देगा। MIC के वरिष्ठ सदस्य ज्ञानेश शर्मा और श्रीकुमार मेनन के मुताबिक दोषियों और घोटालों से सम्बंधित सभी चीजों को जल्द प्राश्निक जांच टीम को सौंप दिया जायेगा। तत्संबंध में आज भी MICE के लोग प्रशासनिक अफसरों के पास इसी मुद्दे को लेकर चर्चा किये हैं। बता दें कि पहली बैठक में ठेका, टेंडर, भुगतान और नियम विरुद्ध कार्यों पर बिंदुवार चर्चा की गई, लेकिन जांच समिति इस कथित घोटाले की रिपोर्ट और दोषियों का अपराध कब तक तय कर लेगी यह तय नहीं है। बैठक में MIC सदस्य ज्ञानेश शर्मा, श्रीकुमार मेनन, सहदेव व्यवहार, अंजनी विभार और निगम के अधिकारी मौजूद रहे।

जांच पर नगर निगम की नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे के बोल

नगर निगम की नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे ने कहा महापौर एजाज ढेबर अपनों के घोटाले की कब तक पूरी करेंगे जांच इसकी समय सीमा तय नहीं कर पाए थे। निगम की आधी अधूरी जांच अब फिर प्रशासनिक जांच पर भी उन्हों ने संदेह जताया है। बीजेपी पार्षद दल की नेता मीनल चौबे ने कहा कि महापौर तो स्वयं घोटाला किंग है। डिवाइडर घोटाला,बूढ़ातालाब फौव्हारा घोटाला,राउतपुरा फेस टू घोटाला में महापौर मौन थे अब ED और IT के कटघरे में घिरे महापौर संदेह के दायरे में इसलिए भी आ रहे है कि स्मार्ट टायलेट और एसी बस स्टाप बनाने के एवज में विज्ञापन एजेंसियों को यूनिपोल की अनुमति निर्धारित शुल्क के साथ दी गयी थी। दोनों ही विषयों में आयुक्त ने अपने विशेषाधिकार का उपयोग किया है पर महापौर एक विषय में आयुक्त को बरी कर रहे हैं और दूसरे विषय में आयुक्त पर आरोप लगा रहें हैं, जबकि दोनो ही विषयों की फाइल लगभग समान है। 27 करोड़ रूपये के घोटाले का आरोप संबंधित एंड एंजेंसी पर लगाया है। होर्डिंग गड़बड़ी पर लंबे समय तक महापौर की चुप्पी उन्हें संदेह के दायरे में ला रही है। महापौर स्वयं मान रहें हैं कि निगम के अधिकारी भ्रष्ट है और वे पूरे प्रमाण के साथ आरोप लगा रहे होंगे, तो वे इस विषय में जांच समिति की नौटंकी छोड़कर सीधे तथ्यों के साथ संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर क्यों नही करवा रहें हैं। प्रशासनिक जांच कब तक पूरी होगी अब यह देखना है।

MIC सदस्य बोले प्रशासनिक जांच से ऊपर नहीं निगम

रायपुर नगर निगम की MIC के वरिष्ठ सदस्यों का कहना है कि घोटाले की FIR या जांच निगम नहीं कर सकता। तकनिकी और व्यावहारिक तौर पर शासन की जांच समिति से हम ऊपर नहीं हैं। महापौर द्वारा घठित जांच समिति द्वारा जो बिंदु तय किये गए थे उसे और अन्य संबंधित प्रमाणों को प्रशासनिक जांच अधिकारीयों को सौंप दिया जायेगा। MIC सदस्य ज्ञानेश शर्मा और श्रीकुमार मेनन का कहना है कि प्रशासनिक जांच के बाद निगम की जांच समिति का कोई औचित्य भी नहीं। जानकारी के मुताबिक नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारी आशीष टिकरिहा और अर्बन सक्रेटरी अयाज़ तंबोली इस मामले की जांच और रिपोर्ट के बाद दोषियों पर कार्रवाई होगी।

सुलगते सवाल

1 . अधिकारीयों ने राजस्व की गणना कैसे की है ? कहाँ यूनिपोल लगेंगे ये अधिकारियों ने चिन्हित किया है क्या ?

  1. जिस राशि में निविदा स्वीकृत हुई है क्या उस में स्मार्ट टॉयलेट की गुणवत्ता का ऑडिट हुआ है क्या ?
  2. निविदा प्राप्तकर्ता के आयकर रिटर्न वर्ष 17-18 में 34,00,000/- (रू. 34 लाख) घाटा है तो कैसे एजेंसी को निविदा दी गयी?
  3. 18 टॉयलेट के आजु बाजू दो-दो यूनिपोल की शर्त थी यानि 36 यूनिपोल, फिर कैसे 51 यूनिपोल के सुझाव शर्त किसने मंजूर किया?
  4. नोट शीट पेज क्रमांक 41 में लिखा है की यूनिपोल टॉयलेट निर्माण के बाद ही लगाएं तो कैसे सिर्फ 6 स्मार्ट टॉयलेट लोकार्पित हुए