टीआरपी डेस्क। उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में 90 साल के बुजुर्ग को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई साथ ही 55 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है। कोर्ट ने 42 साल पुराने मामले में यह फैसला सुनाया है।

दरअसल साल 1981 में 10 हरिजनों (दलितों) की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मामले में 10 लोगों के दोषी माना गया था। इस केस की सुनवाई के दौरान 9 दोषियों की मौत हो गई है और 90 साल का बुजुर्ग एक मात्र जीवित दोषी था, जिसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

दरअसल, फिरोजाबाद के थाना मक्खनपुर इलाके के गांव साडूपुर में साल 1981 में कुछ लोगों द्वारा ताबड़तोड़ फायरिंग की गई थी, जिसमें 10 हरिजनों की नृशंस हत्या हुई थी। साथ ही तीन लोग गोली लगने से घायल भी हुए थे। इस मामले में फिरोजाबाद रेलवे स्टेशन के क्लर्क डी. सी गौतम की शिकायत पर अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।

मामले की जांच की गई और अपराध संख्या 452/1981 में धारा 302, 307 में शिकोहाबाद थाना पुलिस जिला मैनपुरी (वर्त्तमान फिरोजाबाद) में 10 लोगों की दोषी मानते हुए उनके खिलाफ केस बनाया गया था। इन दोषियों में गंगादयाल पुत्र लज्जाराम का भी नाम शामिल था।

9 दोषियों की हुई मौत

इस मामले में बीते 42 साल से तारीख दर तारीख सुनवाई जारी थी। वहीं इस केस में दोषी माने गए 9 लोगों की मौत हो गई। एक मात्र जीवित बचे गंगादयाल पुत्र लज्जाराम, जिनकी वर्तमान में उम्र 90 साल है, उनको इस मामले में फिरोजाबाद कोर्ट द्वारा सजा सुनाई गई।

आजीवन कारावास और 55 हजार का अर्थदंड

कोर्ट ने 90 साल के गंगादयाल को 10 हरिजनों की हत्या के इस मामले में दोषी करार दिया और आजीवन कारावास की सजा सुना दी साथ ही उन पर 55 हजार का अर्थदंड भी लगाया है। वहीं, अर्थदंड नहीं देने पर अतिरिक्त सजा का भी ऐलान किया गया है। 42 साल बाद इस मामले में फैसला हुआ और आरोपी को सजा हुई।

पकड़कर ले जाया गया बुजुर्ग को

मालमे में दोषी करार गंगादयाल की उम्र काफी अधिक होने के कारण उनका चल पाना भी मुश्किल है। बिना सहारे के गंगादयाल खड़े तक नहीं पाते हैं। कोर्ट के सजा सुनाने के बाद पुलिसकर्मी उन्हें पकड़कर कोर्ट के बाहर तक ले गए।

बता दें कि, मक्खनपुर का इलाका साल 1981 में जनपद मैनपुरी का एक हिस्सा हुआ करता था। जहां गोलीकांड में 10 हरिजनों की हत्या कर दी गई थी। इस नरसंहार से पूरा देश हिल गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी साढूपुर पहुंची थीं। अटल बिहारी वाजपेयी ने भी मक्खनपुर से साढूपुर गांव तक मार्च किया था।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटरयूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्रामकू
 पर