लखनऊ। पर्यावरण को संरक्षित रखने में वनों में मौजूद बाघों का अहम योगदान रहा है इसके लिए बाघों को भी संरक्षित रखना भी बेहद जरूरी है। लगातार हो रही बाघों की मौत ने उत्तर प्रदेश सरकार के लिए बाघों को संरक्षित रखना बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दुधवा टाइगर रिजर्व (डीटीआर) में बाघों की मौत की जांच की घोषणा करने के कुछ ही घंटों के भीतर एक उच्च स्तरीय जांच दल डीटीआर पहुंच गया है और उन जगहों का दौरा किया, जहां 21 अप्रैल से बाघों के शव रखे गए थे।

शनिवार को टीमों ने अलग-अलग जगहों का दौरा किया। उत्तर प्रदेश के वन मंत्री अरुण सक्सेना ने दुधवा टाइगर रिजर्व और दुधवा बफर जोन के वन क्षेत्रों का दौरा किया, ताकि उन कारणों और परिस्थितियों की जांच की जा सके जिसके कारण बाघों की मौत तेजी से हो रही है। अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) मनोज सिंह ने डकेरिया गांव का दौरा किया, जबकि वन बल के प्रमुख ममता संजीव दुबे ने बिलराया रेंज का दौरा किया।

उन्होंने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का भी बारीकी से अध्ययन किया और विशेषज्ञों से बात की। टीम के एक सदस्य ने रविवार को कहा, बाघ के शव में पंजे सहित सभी अंग मौजूद थे। इसने अवैध शिकार के पहलू को खारिज कर दिया। वन मंत्री अब मुख्यमंत्री को जांच रिपोर्ट सौंपेंगे। रिपोर्ट में जांच, बाघों की मौत की परिस्थितियों, की गई कार्रवाई और दुधवा टाइगर रेंज (डीटीआर) में कामकाज में सुधार के लिए सुझावों का विवरण शामिल है। डीटीआर को कर्मचारियों की कमी का सामना कर रहा है। इसमें 102 बीट और 34 लोग हैं।