रायपुर : छत्तीसगढ़ में सरकारी कर्मचारी और सरकार के बीच सियासत गरमाने लगी है। प्रदेश में एक बार फिर से सरकारी कर्मचारी अपनी लंबित मांगों को लेकर विधानसभा के मानसून सत्र से पहले बड़े आंदोलन की रणनीति बना रहे है। बता दें कि छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फडरेशन और कर्मचारी अधिकारी महासंघ एक साथ अपनी लंबित मानगो को लेकर आंदोलन करने वाली है। वहीं दोनों बड़े संगठन के कर्मचारियों के एक साथ आंदोलन पर जानें से सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

जानकारी के अनुसार आंदोलन की रणनीति तय करने के लिए मंत्रालय में दोनों संगठनों की एक बैठक हुई है। इसमें दोनों संगठनों में शामिल सभी दलों के प्रमुख पदाधिकारी मौजूद थे। इस बैठक में सभी कर्मचारी नेताओं ने आंदोलन करने पर सहमती दी है। बैठक में आंदोलन संचालन के लिए 11 सदस्यीय संचालन समिति बनाए जाने का निर्णय लिया गया। आगामी विधानसभा सत्र के मद्देनज़र आंदोलन की तिथियों की घोषणा व सरकार को मांगपत्र के साथ हड़ताल का अल्टीमेटम दिया जाएगा। तिवारी ने बताया कि दो दिनों के भीतर आंदोलन की तिथियों की घोषणा महासंघ एवम फेडरेशन संयुक्त रूप से करेंगे। प्रवक्ता संजय तिवारी ने कहा कि फेडरेशन व महासंघ की संयुक्त आंदोलन की तैयारियों से शासन प्रशासन में हड़कंप मच गया है।

जानिए क्या है कर्मचारियों की मांग
प्रदेश प्रवक्ता चंद्रशेखर तिवारी, संजय तिवारी और मंत्रालय अध्यक्ष महेंद्र राजपूत ने संयुक्त बयान में बताया कि फेडरेशन और महासंघ ने प्रदेश के लाखों कर्मचारियों के लंबित मांगो के लिए संयुक्त आंदोलन करने का निर्णय लिया है । प्रमुख मांगे -कर्मचारियों एवं पेंशनरों को केंद्र के समान नौ प्रतिशत महंगाई भत्ता दिया जाए। 2016 से लंबित सातवें वेतनमान के अनुरूप गृह भाड़ा भत्ता दिया जाए। पिंगुआ कमेटी की रिपोर्ट सौंपी जाए। घोषणा पत्र अनुरूप चार स्तरीय पदोन्नत वेतनमान दिया जाए।