मणिपुर। हिंसा प्रभावित मणिपुर में कायार्लय से नदारद रहने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए मणिपुर सरकार काम नहीं तो वेतन नहीं नियम लागू करने जा रही है। सरकार द्वारा यह फैसला अधिकारियों और कर्मचारियों के कार्यालय से लगातार गायब रहने की मिल रही लगातार शिकायतों के बाद लागू की जा रही है।  साथ ही, सामान्य प्रशासन विभाग को उन कर्मचारियों का विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है जो राज्य में मौजूदा स्थिति के कारण अपने आधिकारिक काम पर उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं।


12 जून की बैठक में फैसला
जीएडी सचिव माइकल एकॉम ने सोमवार को एक परिपत्र जारी किया। इसमें कहा गया है कि 12 जून को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया है, जो कर्मचारी सामान्य प्रशासन विभाग से वेतन प्राप्त कर रहे हैं। उन्हें कार्यालय में उपस्थित होना जरूरी है।


बिना छुट्टी लिए कार्यालय से गायब
परिपत्र में कहा गया है कि मणिपुर सचिवालय को सूचित किया जाता है कि जो कर्मचारी अधिकृत छुट्टी के बिना अपने काम पर नहीं आ रहे हैं, उन सभी पर ‘काम नहीं, वेतन नहीं’ लागू होगा। बता दें, मणिपुर सरकार में करीब एक लाख कर्मचारी हैं।


मजबूर कर्मचारियों की मांगी जानकारी
परिपत्र में सभी प्रशासनिक सचिवों से उन कर्मचारियों के बारे में भी जानकारी मांगी है, जो राज्य में मौजूदा हालातों की वजह से कार्यालय नहीं आ पा रहे हैं। बता दें, इन कर्मचारियों के नाम, पद, ईआईएन, वर्तमान पता 28 जून तक कार्मिक विभाग को भेजने होंगे ताकि उचित आवश्यक कार्रवाई की जा सके।


सैकड़ों नौकरियां गई
मणिपुर में चल रही मैतई और कूकी समुदाय के बीच चल रही हिंसा की वजह से अभी तक 100 से ज्यादा लोगों की नौकरी जा चुकी है।


यह है मामला
बता दें कि मणिपुर में बीती 3 मई को हिंसा की शुरुआत हुई थी, जब मैतई समुदाय को जनजातीय आरक्षण देने की मांग के विरोध में ऑल ट्राइबल्स स्टूडेंट यूनियन ने विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद राज्य में हिंसा भड़क गई। अब तक हिंसा में कई सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है और बड़ी संख्या में लोग घायल हैं।