इंफाल। मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच शुरू हुए विवाद ने हिंसा का बड़ा रूप ले लिया है। मणिपुर में जारी हिंसा को एक माह से अधिक समय बीत चुका है । तनावपूर्ण स्थित को देखते हुए बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है और धारा 144 भी लागू की गई है। इसके साथ ही इंटरनेट सेवाएं भी बंद है।  मणिपुर सरकार और प्रशासन की ओर शांति बहाली के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन हिंसा थमने का नाम नहीं ले रहा है।


हिंसा प्रभावित मणिपुर के इंफाल पश्चिम जिले में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत लागू पाबंदियों में आज ढील दी गयी। अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट एन जॉनसन मीतेई द्वारा शनिवार को जारी एक अधिसूचना के अनुसार, राज्य में झड़पें शुरू होने के बाद तीन मई को लोगों की आवाजाही पर पाबंदियां लगायी गयी थी।

इसमें कहा गया है, इंफाल पश्चिम जिले के सभी क्षेत्रों में आम लोगों के घरों से बाहर निकलने पर लगाए गए प्रतिबंध में रविवार दो जुलाई को सुबह पांच बजे से शाम छह बजे तक ढील दी जाती है। अधिसूचना के अनुसार, जिले में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति में सुधार आने के बाद यह फैसला लिया गया है। लोगों को दवाएं तथा खाद्य सामग्री समेत आवश्यक सामान खरीदने के लिए भी पाबंदी में ढील दिए जाने की आवश्यकता है।

पूर्वोत्तर राज्य में मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में अभी तक 100 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं। मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है।