रायपुर। छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारी सामूहिक अवकाश लेकर शुक्रवार को अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के चलते रायपुर कलेक्टोरेट छोड़कर पूरे प्रदेश में स्कूल, कार्यालयों में और मंत्रालय से लेकर संचालनालय तक सभी दफ्तरों में सन्नाटा परसा रहा। बता दें कि, पहली बार छत्तीसगढ़ में एक साथ 145 संगठनों ने मिलकर हड़ताल की घोषणा की है। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा के आव्हान पर मंत्रालय परिसर में कर्मचारी-अधिकारी की ओर से अपनी 5 सूत्रीय मांगों को लेकर आज अभूतपूर्व प्रदर्शन कर रहे हैं।

महंगाई भत्ता अभी भी केंद्र की तुलना में 4 प्रतिशत पीछे
दरअसल, राज्य के कर्मचारियों की लंबे समय से मांग है कि केंद्र के बराबर महंगाई भत्ता और सातवें वेतनमान के अनुरूप गृह भाड़ा भत्ता दिया जाए। गुरुवार को राज्य सरकार ने महंगाई भत्ता 5 प्रतिशत बढ़ाया है, इसके बाद भी कर्मचारी केंद्र सरकार की तुलना में अभी भी 4 प्रतिशत पीछे हैं। अब कर्मचारियों का आरोप है कि राज्य सरकार ना तो एरियर्स की राशि दे रही है और ना ही केंद्र के बराबर महंगाई भत्ता दे रही है। हालांकि छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों के डीए में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी, तो यही उम्मीद थी कि कर्मचारी संगठन अपना हड़ताल स्थगित कर देंगे, लेकिन कर्मचारी संगठन नहीं माने। राज्य सरकार को प्रति वर्ष एक हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा। इधर विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश भर में संविदा और स्वास्थ्य कर्मचारियों ने भी अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सभी के हड़ताल से कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो रही है।

ये है कर्मचारी संगठनों की मांग
छठवें वेतनमान के आधार पर मिलने वाले गृह भत्ते को सातवें वेतनमान के आधार पर केंद्रीय दर पर दिया जाए।
राज्य के कर्मचारियों और पेंशनरों को केंद्र की तिथि के अनुसार महंगाई भत्ता दिया जाए।
पिंगुआ समिति और अन्य समितियों की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए।
जन घोषणा पत्र के अनुसार 8,16,24 और 30 साल की सेवा में चार स्तरीय किया जाए। साथ ही अनियमित, संविदा, दैवेभो को नियमित।
ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए पहली नियुक्ति तिथि से कुल सेवा को जोड़ा जाए।