जयपुर।  राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में राजस्थान रोडवेज के लिए 1 हजार नई बसें खरीदने की घोषणा की थी। बजट घोषणा में 1 हजार बसों के आने की बात सुनकर रोडवेज कर्मचारियों के साथ ही बसों में सफर करने वाले यात्रियों ने भी राहत की सांस ली थी। इस घोषणा को कई महीने बीत चुके हैं लेकिन बसों की खरीद नहीं हुई है। मौजूदा बसें लगातार नॉर्म्स पूरा करके बेड़े से बाहर होती जा रही हैं। ये पूरा मामला बीते काफी समय से दो विभागों के बीच अटका हुआ था। अब जाकर स्थिति साफ हो गई है कि सरकार नई बसें नहीं खरीदेगी। घोषणा वाली सभी बसें अनुबंध पर ली जाएंगी।


इस घोषणा को कई महीने बीत चुके हैं लेकिन बसों की खरीद नहीं हुई। मौजूदा बसें लगातार नॉर्म्स पूरा करके बेड़े से बाहर होती जा रही हैं। ये पूरा मामला बीते काफी समय से दो विभागों के बीच अटका हुआ था। अब जाकर स्थिति साफ हो गई है कि सरकार नई बसें नहीं खरीदेगी। घोषणा वाली सभी बसें अनुबंध पर ली जाएंगी। रोडवेज विभाग को ये पता ही नहीं था कि आखिर इन बसों को सरकार खरीदेगी या अनुबंध भी ली जाएंगी। विभाग ने वित्त विभाग को पत्र लिखा. लंबे समय बाद वित्त विभाग का जवाब रोडवेज विभाग के पास आया है। उसमें बताया गया है कि सर्विस मॉडल बसों का तात्पर्य है कि घोषणा की सभी बसें अनुबंध पर ली जाएंगी। ये जवाब मिलने के बाद अब जाकर बसों को कांट्रेक्ट पर लेने की कवायद शुरू कर दी गई है।


1400 बसों के सहारे चलाया जा रहा है काम
राजस्थान रोडवेज के एमडी नथमल डिडेल ने बताया कि शुरूआती तौर पर जुलाई महीने के पहले सप्ताह में ही 80 नई बसों को अनुबंध के आधार पर शामिल भी कर लिया गया है। 398 बसों को जल्द ही ऑन रूट लाने की कोशिशे तेज कर दी गई है। ये जल्दबाजी इसलिए की जा रही है कि क्योंकि रोडवेज बेड़े की 2900 बसों में से लगभग 1500 बसें अब चलने की हालत में नहीं हैं। 1400 बसों के सहारे पूरे प्रदेश का यात्रीभार उठाया जा रहा है।


इतिहास में ऐसा पहली बार होगा ऐसा
राजस्थान रोडवेज के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि 1 हजार बसों को अनुबंध पर लिया जाएगा। ये कांट्रे्क्ट 5 से 6 साल का होगा। बसें निजी मालिकों की होगी और इनके नियम रोडवेज तय करेगा। यानि सरकार और निजी बस मालिकों के बीच ये समझौता हुआ है। समझौते की शर्तों का अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों इसको लेकर विस्तृत गाइडलाइन बनाई जाएगी।