IAF moves Tejas in Kashmir: कश्मीर घाटी में पड़ोसी पाकिस्तान को हद में रहना सिखाने के लिए भारतीय वायु सेना ने बड़ा कदम उठाया है। वायु सेना ने यहां अपने स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) ‘तेजस’ को जम्मू और कश्मीर में भेजा है। अधिकारियों का कहना है कि यह फैसला घाटियों में उड़ान का अनुभव प्राप्त करने के लिए किया गया है।

रक्षा अधिकारियों का कहना है कि बेड़े के पालयट घाटी में उड़ान भरक अनुभव इकट्ठा कर रहे हैं, जिससे उन्हें इसका फायदा समय आने पर मिल सके और वे घाटी के नियम-कायदों से भी वाकिफ हों। बता दें, जम्मू-कश्मीर में वायु सेना के कई अड्डे हैं, जो चीन और पाकिस्तान सहित दोनों मोर्चों पर सुरक्षा की दृष्टि से संचालन के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं।

इसलिए उठाया यह कदम
घाटियों में उड़ान और अन्य अभियानों में अनुभव प्राप्त करने के लिए वायुसेना ने अपने स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान को ले जाने का फैसला लिया है। रक्षा अधिकारियों का कहना है कि बेड़े के पायलट घाटी में उड़ान भरकर अनुभव इकट्ठा कर रहे हैं। बता दें, भारतीय वायु सेना के केंद्र शासित प्रदेश में कई अड्डे हैं, जो चीन और पाकिस्तान सहित दोनों मोर्चों पर संचालन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
पहले भी भेज चुके हैं विमानों को
खैर, यह पहली बार नहीं है, जब बेड़े के विमानों को कहीं ले जाया गया है। भारतीय वायुसेना जम्मू-कश्मीर और लद्दाख सहित उत्तरी क्षेत्र के दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में अपने विमानों को अक्सर भेजती रहती है, ताकि उन्हें अलग-अलग इलाके में उड़ान भरने का अनुभव मिल सके।
तेजस की खासियत
यह सिंगल इंजन वाला 6,500 किलोग्राम का हल्का लड़ाकू विमान है, जिसके 50 फीसदी कलपुर्जे भारत में ही बने हैं। इसमें इजरायल का EL/M-2052 रडार लगाया गया है। यह एक साथ 10 टारगेट को ट्रैक कर सकता है और उन पर हमला कर सकता है। इसे बेहद छोटे रनवे से टेकऑफ किया जा सकता है। 6 प्रकार की मिसाइलें, लेजर गाइडेड बम और कलस्टर हथियार इसमें लगाए जा सकते हैं। यह सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर से लैस है जो हमले की सूरत में जेट बचाने में मदद करता है। एक बार में यह 3000 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकता है। इसका एडवांस्ड वर्जन ‘तेजस मार्क-2’ है जो कि 56 हजार से ज्यादा फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। इसे रूसी फाइटर मिग-21 (MiG-21) से बेहतर विकल्प माना जाता है।