Samudrayaan: भारत अंतरिक्ष की ऊंचाइयों तक ही नहीं समुद्र की गहराइयों तक जाकर भी पृथ्वी के कई अनसुलझे रहस्यों का हल निकालने का प्रयास कर रहा। चंद्रयान 3 मिशन के ज़रिए भारत एक तरफ़ जहां चंद्रमा पर सॉफ़्ट लैंडिंग की कोशिश कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ़ भारत समुद्र में 6000 मीटर की गहराई तक तीन इंसानों को भेजने की तैयारी भी कर रहा है। इस प्रोजेक्ट का नाम है समुद्रयान प्रोजेक्ट (Samudrayaan Project)। बीते गुरुवार यानि 3 अगस्त को पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरन रीजीजू ने राज्य सभा को लिखित जवाब दिया।

क्या है समुद्रयान मिशन?
समुद्रयान प्रोजेक्ट भारत का पहला मानवयुक्त समुद्री मिशन है। इस मिशन का मकसद है गहरे समुद्र में संसाधनों और जैव विविधता (Biodiversity) पर शोध करना। इस मिशन से इकोसिस्टम पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि इस मिशन का एकमात्र लक्ष्य है एक्सप्लोरेशन।

2026 तक समुद्र की गहराइयों में जाएगा ‘मत्स्य 6000’
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2026 तक समुद्रयान मिशन शुरू होने की संभावना है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑशन टेक्नोलॉजी, चेन्नई (National Institute of Ocean Technology, Chennai) ने इस मिशन को डिज़ाइन किया है। जो सब्मर्सिबल व्हीकल समुद्र की गहराइयों में जाएगा उसका नाम है ‘MATSYA 6000’। ये सब्मर्सिबल 2024 की दूसरी तिमाही तक परीक्षण के लिए तैयार हो जाएगा।

‘मत्स्य 6000’ को अलग-अलग फ़ेज़ेस में तैयार किया जा रहा है। पहले 500 मीटर की गहराई तक जाने में सक्ष्म मानवयुक्त पनडुब्बी बनाने पर काम किया गया। इस पनडुब्बी का परीक्षण बंगाल की खाड़ी में किया गया।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑशन टेक्नोलॉजी, चेन्नई ने कई अंडरवाटर इंस्ट्रुमेंट्स जैसे- ऑटोनोमनस कोरिंग सिस्टम (Autonomous Coring System), ऑटोनॉमस अंडरवॉटर व्हीकल (Autonomous Underwater Vehicle) और डीप सी माइनिंग सिस्टम (Deep Sea Mining System) डिज़ाइन किया है

क्यों महत्वपूर्ण है समुद्रयान मिशन?
समुद्रयान मिशन भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस मिशन के ज़रिए साइंटिस्ट्स अनएक्स्प्लोर्ड गहरे समुद्र के बारे में कई अहम जानकारियां हासिल करेंगे। ये केन्द्र सरकार के ‘न्यू इंडिया’ विज़न का ही एक प्रोजेक्ट है। ब्लू इकोनॉमी को भी इस मिशन से काफ़ी लाभ होगा।

डीप सी मिशन (Deep Sea Mission) का ही हिस्सा है समुद्रयान प्रोजेक्ट। पांच साल में डीप सी मिशन में 4,077 करोड़ खर्च होने का अनुमान है। ये कई फ़ेज़ में इम्प्लीमेंट किया जाएगा। अमेरिका, रूस, फ़्रांस, जापान और चीन जैसे कई देश डीप सी मिशन्स कर चुके हैं। अब भारत भी उन चुनींदा देशोंं में शामिल होने की तैयारी कर रहा है जिनके पास गहरे समुद्र में जाने की तकनीक और क्षमता है।

भारत के लिए क्यों प्रासंगिक है ये मिशन
भारत के पास 7517 किलोमीटर लंबा समुद्री तट है। 9 भारतीय राज्यों में समुद्री तट है और भारत के पास 1382 द्वीप है। तीन तरफ़ से भारत समुद्र से घिरा है और तकरीबन 30% जनसंख्या समुद्री के किनारे ही रहती है। डीप सी मिशन से फ़िशरी, एक्वाकल्चर, टूरिज़्म, ब्लू ट्रेड को सपोर्ट मिलेगा, ऐसा केन्द्र सरकार का कहना है।

7000 मीटर की गहराई तक जा चुका है भारत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 8 जून 2023 को चेन्नई में विश्व महासागर दिवस पर आयोजित कार्यकर्म में रीजीजू ने बताया था कि भारत ने 7000 मीटर की गहराई तक बिना मानव के समुद्र के भीतर मिशन को अंजाम दिया है। अब भारत 6000 मीटर की गहराई तक तीन इंसानों को भेजने की तैयारी में है।