रायपुर। अब सड़कों पर मवेशी घूमते पाए गए तो पशु मालिकों पर कार्यवाही होगी। सड़कों पर आवारा पशुओं के कारण हो रहे दुर्घटनाओं को लेकर अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू ने ये निर्देश दिए हैं। सुब्रत साहू ने सड़कों पर आवारा पशुओं के कारण हो रहे दुर्घटनाओं में जानमाल की क्षति को रोकने के लिए सभी जिला कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को प्रभावी व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जिला पंचायत, जनपद पंचायत तथा ग्राम पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों की बैठक लेकर इस समस्या की ओर उनका ध्यान आकृष्ट कराने और इस समस्या के निदान पर उनकी सक्रिय सहभागिता सुनिश्चिित करने कहा है।

पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग की ओर से जारी दिशा निर्देशों के अनुसार सभी ग्राम पंचायतों में और विशेष रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग तथा अन्य मुख्य राजमार्ग के पास स्थित कांजी हाउस और गोठान में सड़क पर घूमते हुए आवारा पशुओं और मवेशियों को पकड़कर, कांजी हाऊस अथवा गोठानों में रखा जाये। पशुओं और मवेशियों के चारा-पानी और सुरक्षा का ध्यान भी रखा जाये। इन कार्याें में आवश्यकतानुसार पशु चिकित्सा विभाग से समन्वय कर जरूरी मदद ली जाए। कांजी हाउस और गोठान में जल निकास की समुचित व्यवस्था की जाए। गोठान परिसर में पशुओं के बैठने के लिए कीचड, आदि से मुक्त स्थान की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। इसके लिए नरेगा या स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध अन्य मदों की राशि का उपयोग किया जा सकता है।

दिशा निर्देश में यह भी कहा गया है सड़क पर आवारा पशुओं का स्थानीय आकलन, बसाहटवार कराते हुए निकटतम कांजी हाउस, गौशाला या गोठानों में पशुओं को रखने की क्षमता का भी आकलन कर लिया जाये। ऐसे आंकलन के बाद आवश्यकतानुसार नए कांजी हाउस की स्थापना के संबंध में नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करना सुनिश्चित की जाए। यदि कोई पशु बाहर घूमता हुआ पकड़ा जाता है, तो उन पशुओं के मालिक के ऊपर पशु अतिचार अधिनियम 1871 के प्रावधान अनुसार दण्ड अधिरोपित किया जाए।

राष्ट्रीय राजमार्ग और मुख्य राजमार्ग के पास वाले ग्राम पंचायत जहां से ज्यादातर पशुओं की मुख्य सड़क में जाने की संभावना हो उस ग्राम पंचायत में व्यवहार परिवर्तन का कार्यक्रम चलाया जाये। इससे पशु और मवेशी मालिक मवेशियों को बांध कर रखे तथा सड़कों में जाने से रोके। सड़कों पर घूम रहे आवारा मवेशियों की जानकारी देने के लिए नगरीय प्रशासन विभाग की ओर से संचालित टोल फ्री नंबर 1100 पर शिकायत की जा सकती है। इसके लिए ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी, नगरीय प्रशासन विभाग से सामंजस्य स्थापित कर इस विभाग के अधिकारियों के नाम पोर्टल में अपलोड करे, ताकि उनसे आसानी से संपर्क किया जा सकें।

डेयरी उद्योग और पशु पालकों की ओर से पशुओं को सड़कों और आवागमन क्षेत्र में नहीं छोड़े जाने के संबंध में समझाईश दी जाए। इसके बाद भी सड़कों पर पशु पाए जाने पर नियमानुसार अर्थदण्ड और अन्य सुसंगत कार्यवाही करना सुनिश्चित की जाए। ग्राम पंचायत में स्थित कांजी हाउस और गोठान की जानकारी से समस्त नागरिकों को अवगत कराया जाये। घूमते पाये जाने वाले आवारा पशुओं के लिए पंचायत की ओर से निर्धारित दण्ड की जानकारी का भी व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। यदि नेशनल हाइवे अथॉरिटी की ओर से नेशनल हाइवे में केटल ले एण्ड बे उपलब्ध होने पर इसके आस-पास वाले गोठानों में या कांजीहाउस में ले जाने की व्यवस्था की जाए।