PIDIT THANA COLLAGE

बलौदाबाजार। सरकार द्वारा मजदूरों के हित में चलाई जा रहीं अनेक योजनाएं श्रम विभाग के अधिकारियों-कर्मियों और उनके दलालों के लिए कमाई का जरिया बन गई हैं। प्रदेश के लगभग हर जिले में संचालित श्रम कार्यालय में दलाल सक्रिय हैं, जो श्रम अमले की मिलीभगत से लोगों के काम करवा रहे हैं और मोटी रकम ऐंठ रहे हैं। बलौदा बाजार जिले में तो श्रम निरीक्षक और उसके दलालों ने मिलकर कई मृतकों के परिजनों के लिए मिली अनुदान राशि को ही हड़प लिया। मामले में जब पीड़ितों द्वारा सबूतों के साथ पुलिस में शिकायत की गई तब जांच के बाद श्रम निरीक्षक समेत 4 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर लिया गया है।

मजदूरों की मौत पर मिलती है अनुदान राशि

दरअसल बलौदा बाजार में संचालित श्रम कार्यालय में अनेक मजदूरों का छत्तीसगढ़ भवन सन्निर्माण योजना के तहत पंजीयन था। इस योजना के अंतर्गत मृत्यु होने पर मृतक की नॉमिनी को 1 लाख रूपये की अनुदान राशि मिलती है l इस योजना का लाभ लेने के लिए पीड़ित सभी लोग संयुक्त कलेक्टर कार्यालय के माध्यम से बलौदाबाजार के जिला श्रम विभाग कार्यालय पहुंचे थे। जहां इनकी मुलाकात उस दौरान पदस्थ श्रम निरीक्षक मनोज मंडलेश्वर से हुई l उक्त श्रम निरीक्षक ने पीड़ित महिलाओं का ग्राम रवान निवासी मीना वर्मा से यह कहते हुए परिचय कराया कि यह श्रम कार्यालय में एजेंट के रूप में कार्य करती है। सारे दस्तावेज इसके पास जमा करने के साथ ही जैसा यह बोले वैसा ही करना है।

घर-घर जाकर भरवाए फॉर्म

पीड़ितों ने शिकायत पत्र में यह भी बताया कि श्रम अधिकारी के मार्गदर्शन में हमने सारे दस्तावेज मीना वर्मा को दे दिये l कुछ दिनों बाद मीना वर्मा, श्रम विभाग के कम्प्यूटर ऑपरेटर भूपेंद्र सिंह कंवर, अन्य दलाल रुखमणी वर्मा ग्राम करमदा, भगवती ध्रुव ग्राम करमदा, और शकुन ध्रुव ग्राम बुड़गहन आदि ने पीड़ितों के घर आकर ऑनलाईन आवेदन के नाम पर अपने साथ लाये समस्त दस्तावेजों में हस्ताक्षर कराया और अपने साथ लाये लैपटॉप कंप्यूटर मशीन में अंगूठे का निशान भी लिया था l

खाते में गए पैसे मगर पता नहीं चला

अनुदान राशि की जानकारी लेने के लिए प्रार्थीगण जब भी श्रम विभाग के श्रम निरीक्षक एवं एजेंट मीना वर्मा से सम्पर्क कर उनसे पूछते, तो उक्त दोनों ही कोई ना कोई बहाना बना कर उन्हें वापस भेज देते थे l हाल ही में बड़ी मुश्किल से पीड़ितों को ऑनलाईन के माध्यम से पता चला कि लगभग डेढ़ से 2 वर्ष पहले ही उन सभी की राशि स्वीकृत होकर बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा भाटापारा के खाते में चली गई है। इन मामलों में ठगी के शिकार अधिकांश लोग आदिवासी वर्ग से हैं।

खाता कब खुला, पता नहीं

पीड़ितों का कहना है कि हम कभी भी उक्त बैंक में खाता खुलवाने नहीं गये और ना ही कभी एटीएम कार्ड आदि प्राप्त करने गये l पीड़ितों के शिकायत पत्र के अनुसार वे खुद परेशान हैं कि बिना उनकी सहमति/उपस्थिति के आखिर बैंक में खाता खुला कैसे ?

बैंक कर्मियों की मिलीभगत की आशंका

इस प्रकार की गड़बड़ी से पीड़ितों को यकीन हो गया है कि श्रम निरीक्षक, एजेंट मीना वर्मा ने बैंक के अधिकारी/कर्मचारी की मिलीभगत से कूटरचना रचकर उनकी राशि गबन की है l जिस पर सभी पीड़ितों ने स्थानीय पुलिस थाने में अपराध पंजीबध्द कर दंडात्मक कार्यवाही सहित योजना की उक्त गबन राशि लौटाने की भी मांग शपथ पत्र सहित शिकायत पत्र में लिखित में की।

पहली किश्त देकर बाकी डकार गए..!

बलौदाबाजार के श्रम कार्यालय में हुई गड़बड़ी से पीड़ित 2 अन्य ग्रामीणों लोमश ध्रुव व सेवक ठाकुर ने बताया कि लगभग 1 वर्ष पूर्व एजेंट मीना वर्मा और उनके साथीगणों ने उन्हें क्रमश: 20-20 हजार रूपये नगद राशि पहली किश्त बताकर दी थी और शेष राशि अगली किश्त आने पर देंगे बोलकर वे चले गये, उसके बाद से शेष राशि क्रमश: 80-80 हजार रूपये आज तक नहीं आये। बाद में इन्हें भी ऑनलाईन के माध्यम से पता चला कि उनकी राशि लगभग 2 वर्ष पहले ही स्वीकृत होकर बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा भाटापारा के खाते में चली गई है जबकि पीड़ितों का कहना है कि हमने कभी भी उक्त बैंक में खाता नहीं खुलवाये हैं।

पुलिस की जांच में सही निकली शिकायत

धोखाधड़ी के शिकार 14 पीड़ितों ने पिछले दिनों शपथ पत्र देकर पुलिस थाना, सिटी कोतवाली सहित उच्च अधिकारियों के समक्ष लिखित शिकायत की। जिस पर कोतवाली थाना प्रभारी अमित तिवारी ने संज्ञान में लेकर अपनी टीम सहित विधिवत जांच कराई। इस दौरान शिकायत सही पाई गई, जिसके बाद आरोपी श्रम निरीक्षक मनोज मंडलेश्वर, श्रम विभाग में दलाली करने वाली एजेंट मीना वर्मा, रूखमणी वर्मा और सुमित्रा ध्रुव ग्राम के विरुध्द पुलिस ने धारा 34, 409, 420 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया है l

पता चला है कि इस मामले के मुख्य आरोपी श्रम निरीक्षक मनोज मंडलेश्वर का यहां से तबादला हो चुका है। इस मामले में तत्कालीन जिला श्रम पदाधिकारी तेजेश चंद्राकर की भूमिका का फ़िलहाल पता नहीं चल सका है।पुलिस का कहना है कि जल्द ही आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया जायेगा।

अधिकांश श्रम कार्यालय दलालों के कब्जे में

प्रदेश भर के अधिकांश कार्यालयों में दलालों की भीड़ है। ये दलाल श्रम कार्यालय आने वाले मजदूरों और ठेकेदारों को काम करा देने की गारंटी देते हैं तथा अधिकारियों-कर्मियों से मिलीभगत करके कमीशनखोरी और रुपयों का गबन करते हैं। पूर्व में कबीरधाम जिले के लेबर ठेकेदारों ने श्रम कार्यालय के अधिकारी और कर्मियों पर उगाही का आरोप लगाया था। इस मामले की जांच हुई और प्रतिवेदन के आधार पर सहायक श्रम आयुक्त को शासन द्वारा निलंबित किया गया और संविदा पर काम कर रहे दो कंप्यूटर ऑपरेटरों को हटा दिया गया। इन मामलों पर गौर करें तो पीड़ितों द्वारा शिकायत करने पर जांच और फिर कार्रवाई हुई, मगर सच तो ये है कि अधिकांश पीड़ित शिकायत करने की हिम्मत ही नहीं करते जिसके चलते ऐसे दलाल और कर्मचारी-अधिकारी बदस्तूर अपना काम जारी रखे हुए हैं।