अमेठी से चुनाव लड़ना राहुल गांधी के लिए आसान नहीं, आंकड़े दे रहे गवाही

अमेठी। उत्तर प्रदेश का अमेठी कांग्रेस का गढ़ रहा है। राहुल गांधी यहां से सांसद रह चुके हैं। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी की स्मृति ईरानी के हाथों शिकस्त मिली थी। अमेठी में हाल में जो चुनाव हुए हैं उसके परिणाम को देखने के बाद ये बड़ा सवाल है कि राहुल इस सीट से चुनाव लड़ेंगे या नहीं। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने शुक्रवार को सुबह ऐलान किया कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन शाम होते-होते उन्हें शायद इसका एहसास हो गया कि वो कुछ ज्यादा बोल गए, फिर शाम में उन्होंने कहा कि अमेठी की जनता की मांग है कि राहुल गांधी अमेठी से लड़ें। 19 अगस्त यानी शनिवार को सुबह उन्होंने फिर से करेक्शन किया और कहा कि हाईकमान और राहुल गांधी तय करेंगे कि वो कहां से चुनाव लड़ें। यानी 2 दिन में 3 तरह का बयान देकर प्रदेश अध्यक्ष सुर्खियों में बने हुए हैं।

ऐसे में जब उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ही दो दिनों में तीन अलग-अलग तरह के बयान दे चुके हैं तो बीजेपी को मौका मिल गया है। बीजेपी नेता अभी से राहुल गांधी की हार की भविष्यवाणी कर रहे हैं। कांग्रेस डैमेज कंट्रोल के मूड में है। वो कह रही है कि अभी तय होना बाकी है कि राहुल गांधी कहां से चुनाव लड़ेंगे ? लेकिन ये सच है कि 2019 में अमेठी से चुनाव हारने के बाद राहुल गांधी ने ज्यादातर समय अमेठी से दूरी ही बनाए रखी।

ये हैं पिछले चुनाव के आंकड़े

अमेठी में 2019 में हुए लोकसभा चुनाव स्मृति ईरानी ने 4,68,514 वोट हासिल किए थे। वह पहले स्थान पर रही थीं। वहीं, राहुल गांधी 4,13,394 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर थे। तीसरे नंबर निर्दलीय ध्रुव लाल थे. उन्हें सिर्फ 7,816 वोट मिले थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अमेठी लोकसभा के तहत आने वाले इलाकों में सिर्फ 1 लाख 43 हजार वोट मिले. यानी 3 सालों में कांग्रेस के वोट 2 लाख 70 हजार कम हो गए।

आंकड़ों के अनुसार राहुल गांधी के लिए अमेठी से लड़ना आसान फैसला नहीं होगा। वैसे भी 2022 के चुनाव में अमेठी और रायबरेली लोकसभा क्षेत्र में कुल 10 विधानसभा सीटें आती है, कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली है। इन आंकड़ों की जानकारी कांग्रेस नेताओं को भी है, शायद इसलिए वो कह रहे हैं कि सबकुछ राहुल गांधी ही तय करेंगे।

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