रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने छत्तीसगढ़ को नया आयाम दिया, लोगों से किए तमाम बड़े वादों को पूरा कर दिखाया। आज प्रदेश का हर ना​गरिक भूपेश सरकार की योजनाओं से काफी खुश है। सीएम बघेल अपने प्रदेशवासी और अपने बोली, लोककला, त्योहार व परंपराओं को ​बनाए रखने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। छत्तीसगढ़ की बोली और भाषा को संजोने के लिए सीएम भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी सम्मान देने की घोषणा करते हुए युवाओं को एक विशेष सौगात दी है।

इन श्रेणियों में दिया जाएगा छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी सम्मान
संस्कृति, सुरक्षा, कृषि, सुगमता को ध्यान में रखते हुए भूपेश कका ने स्वतंत्रता दिवस के दिन प्रदेशवासियों को संबोधित करते हुए घोषण की, कि छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी सम्मान तीन श्रेणियों में दिया जाएगा। इनमें पहली श्रेणी के पुरस्कार के अंतर्गत छत्तीसगढ़ी तथा अन्य बोली जैसे गोंडी, हल्बी, सरगुजिया में लिखे गए साहित्य के लिए, दूसरी श्रेणी के अंतर्गत हिंदी पद्य के लिए तथा तृतीय श्रेणी के अंतर्गत हिंदी गद्य के लिए यह पुरस्कार दिए जाएंगे।

इन पुरस्कारों के तहत हर श्रेणी में सम्मानित साहित्यकारों को पांच लाख रुपए नकद एवं प्रशस्ति-पत्र प्रदान किए जाएंगे। इस बीच सीएम भूपेश ने कहा कि छत्तीसगढ़ में एक नया सफर शुरू हुआ है, जिसमें हमने नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने का जो संकल्प लिया था, उसे पूरा करने का काम जी-जान से कर रहे हैं। उन्होंने राज्य में प्रचलित भाषाओं और बोलियों को बढ़ावा देने पर बल देते हुए कका ने कहा कि अगले सत्र से छत्तीसगढ़ी भाषा एवं आदिवासी क्षेत्रों के स्थानीय बोली को कक्षा पहली से कक्षा पांचवीं तक पाठ्यक्रम के एक विषय के रूप में सम्मिलित किया जाएगा।

सीएम बघेल ने साहित्य और शिक्षा को दी प्राथमिकता
सीएम बघेल प्रदेश के शिक्षाविदों और साहित्यकारों ने इस पहल को सकारात्मक बताते हुए खुशी जाहिर की। इस बीच प्रदेश के सीएम बघेल ने साहित्य और शिक्षा को भी अपनी प्राथमिकता में रखा। भूपेश सरकार की न्याय योजनाओं का प्रत्यक्ष असर हो रहा है। न्याय योजनाएं प्यार की गंगा बहा रही हैं और दिलों को जोड़ रही हैं। किसान, ग्रामीण, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग, महिला, युवा, बच्चे आदि सभी का जीवन सरल बनाने, इनकी जरूरतों को पूरा करते हुए तरक्की के रास्ते पर आगे ले जाने के लिए भूपेश सरकार ने बड़े-बड़े निर्णय लिए हैं। इनमें पहली श्रेणी अंतर्गत छत्तीसगढ़ी तथा अन्य बोली जैसे गोंडी, हल्बी, सरगुजिया में लिखे गए साहित्य के लिए, दूसरी श्रेणी के अंतर्गत हिंदी पद्य के लिए तथा तृतीय श्रेणी के अंतर्गत हिंदी गद्य के लिए हर श्रेणी में सम्मानित साहित्यकारों को पांच लाख रूपए नगद एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किए जाएंगे।