बिलासपुर। कोरबा जिले में शहर सहित ग्रामीण अंचल में जगह-जगह गलत तरीके से राखड़ डंप करने के मामले में दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से कोरबा कलेक्टर को भी पक्षकार बनाने के लिए कहा है। साथ ही कोर्ट ने वो दस्तावेज भी मांगे हैं जिसके आधार पर अनुविभागीय अधिकारी (SDO) रेवेन्यू द्वारा डंपिंग की अनुमति दी जा रही है। इस मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को निर्धारित की गई है।

प्रतिबंधित स्थानों पर FLY ASH डंप करने की दे दी अनुमति..!

इस मामले में याचिकाकर्ता पूर्व विधायक और वित्त आयोग के अध्यक्ष रहे वीरेंद्र पांडे हैं, जिनके अधिवक्ता पलाश तिवारी ने कोर्ट को बताया है कि किसी भी स्थान पर FLY ASH पाटने की अनुमति देने का अधिकार सिर्फ पर्यावरण संरक्षण मंडल, छत्तीसगढ़ को है। मगर कोरबा जिले में इससे परे हटकर अनुविभागीय अधिकारी (SDO) रेवेन्यू द्वारा डंपिंग की अनुमति दी गई है। वहीं SDO ने उन स्थानों पर भी FLY ASH डंप करने की अनुमति दे दी, जहां पर ऐसा करना प्रतिबंधित है। उदहारण के तौर पर नदी-नालों के आसपास, कृषि भूमि, वनभूमि आदि ऐसे स्थान हैं जिसके आसपास तो क्या, काफी दूर तक FLY ASH फेंकने पर पूरी तरह रोक है। आश्चर्य की बात है कि SDO ने इसकी अनुमति दे दी और वो भी प्रतिबंधित स्थानों पर।

FLY ऐश के परिवहन नियमों का भी उल्लंघन

इस याचिका में FLY ASH का परिवहन करने के नियमों का उल्लंघन किये जाने को भी मुद्दा बनाया गया है। दरअसल नियम ये है कि पॉवर प्लांटों से निकलने वाली कोयले की राख को बंद (PACK) गाड़ियों में परिवहन किया जाये। छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में कैप्सूल वाहन दौड़ती नजर आती हैं, जिनमें सीमेंट कंपनियों के लिए FLY ASH का परिवहन किया जाता है, मगर इससे भी कई गुना ज्यादा खुली गाड़ियों में हर रोज इसका परिवहन हो रहा है। बड़े-बड़े ट्रेलर्स में FLY ASH को केवल तिरपाल से ढंक कर ढोया जा रहा है, जिसके चलते जगह-जगह राख उड़ती है और इलाके को प्रदूषित करती है। कोरबा, रायगढ़ और जांजगीर जैसे जिलों में ऐसे कई इलाके राखड़मय हो गए हैं जहां से इसका परिवहन होता है। नियम के मुताबिक इस तरह के खुले वाहनों में राख का परिवहन पूरी तरह प्रतिबंधित है, मगर जिला प्रशासन और पर्यावरण संरक्षण मंडल के अमले की लापरवाहियों की वजह से इस तरह का गैरकानूनी कार्य प्रदेश भर में चल रहा है।

न्याय मित्रों ने शिकायत को सही पाया

बता दें कि इस याचिका को लेकर हाई कोर्ट ने न्याय मित्रों की एक टीम गठित कर कोरबा जिले में सच का पता लगाने का आदेश दिया था। इस टीम ने उन स्थानों का दौरा किया जहां गलत तरीके से FLY ASH डंप करने की अनुमति दी गई है। वहां की हालत देखने के बाद न्याय मित्रों ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि याचिका में जिन तथ्यों का उल्लेख किया गया है, वे सही हैं।

– न्याय मित्रों की टीम ने किया था निरीक्षण

मनरेगा से बने तालाब को पाट दिया FLY ASH से..!

कोरबा जिले में प्लांटों से निकलने वाले FLY ASH को मनमाने तरीके से यहां-वहां फेंकने का यह नमूना भर है कि यहां ग्राम बारीडीह में एक ऐसे तालाब जिसे महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत खुदवाया गया था। अधिकारियों और पंचायत ने मिलीभगत करके इस तालाब को ही FLY ऐश से पटवा दिया। ऐसे कई इलाके हैं, जहां नदी-नालों के किनारे राख फिंकवा दी गई, और बारिश में इस राख से जल श्रोत प्रदूषित हो गए।

मनरेगा से बने तालाब का अस्तित्व खत्म किया मगर बोर्ड रह गया..!

कोर्ट ने मांगे दस्तावेज

इस मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने शासन से यह बताने के लिए कहा है कि ऐसे क्या दस्तावेज है, जिसके आधार पर इस तरह की डंपिंग की अनुमति अनुविभागीय अधिकारी (SDO) रेवेन्यू द्वारा दी जा रही है। वहीं इस मामले में कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा है कि कोरबा कलेक्टर को भी पक्षकार बनाएं, इसके बाद मामले में सुनवाई की जाएगी, जिसके लिए अगली सुनवाई की तिथि 20 नवंबर को निर्धारित की गई है।

कोरबा कलेक्टर से भी मांगा शपथ पत्र

हाई कोर्ट ने अपने ऑर्डरशीट में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कोरबा (कलेक्टर) को भी पत्र लिखकर शपथपत्र प्रस्तुत करने को कहा है। न्यायलय ने इस बात को लेकर जवाब मांगा है कि SDO ने किन अधिकारों के तहत कोरबा जिले में यहां-वहां FLY ASH फेंकने की अनुमति दी है।

बता दें कि कोरबा की तरह रायगढ़ और जांजगीर जिले का नजारा है, जहां FLY ASH डंप करने के नियमों का आज भी पूरी तरह उल्लंघन किया जा रहा है। याचिका में इन जिलों का भी उल्लेख किया गया है। इस मामले में कोर्ट ने जिस तरह का रुख अपनाया है, उससे उम्मीद की जा रही है कि प्रदेश में FLY ASH को लेकर हो रहे नियमो के उल्लंघन को लेकर कोर्ट कड़े फैसले देगा, ताकि लोगों के जीवन से हो रहे खिलवाड़ पर रोक लग सके।

FLY ऐश फेंकने वालों ने मरघट को भी नहीं छोड़ा..!