रायपुर। विधानसभा चुनाव के चलते राजनीतिक दलों के सौजन्य से राजधानी में गणेश पंडालों में भारी बढ़ोत्तरी हुई । माना जा रहा है कि दुर्गा पंडाल भी बढ़ेंगे और रावण भी अधिक मारे जाएंगे । गणेशोत्सव में इस बार सभी गणेश पंडालों को भरपूर चंदा मिला है। जहां कभी गणेश नहीं बैठाया जाता था वहां भी गणेश बैठाया गया। विधानसभा चुनाव के चलते इस बार धर्म पर राजनीति हावी रही । वैसे भी धर्म और राजनीति साथ-साथ चलती है, इसे कभी भी अलग नहीं किया जा सकता ।

धर्म और राजनीति समाज के उत्थान के लिए समर्पित होता है। गणेशोत्सव में सभी छोटे बड़े पंडालों के आयोजकों ने 10 दिनों तक डीजे के धुन पर आरती किया और डीजे के साथ ही गणेश जी का आभार जताते हुए विसर्जन किया। राजधानी में जहां -जहां सार्वजनिक पंडाल थे,इन प्रमुख पंडालों के अलावा गली-मोहल्लों में गणेश उत्सव की धूम रही।

धर्म और राजनीति से जुड़े जानकारों की माने तो विधानसभा चुनाव के चलते राजनीतिक पार्टियों ने खुले हाथों से गणेश पंडालों को दान देकर धर्म में सहभागिता निभाई । एक मोटे तौर पर अनुमान है कि राजधानी में 2-3 हजार हजार गणेश पंडालों की बढ़ोत्तरी हुई है। अब गणेशोत्सव के बाद दुर्गोत्सव आने वाली है। जिसमें भी राजनीतिक दलों की सहभागिता रहेगी।

सामने विधानसभा चुनाव के कारण हर पंडाल में प्रदेश के मुखिया से लेकर विपक्ष के नेताओं और सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्रियों-विधायकों और पाषर्दों के साथ समाजसेवियों के स्वागत, वंदन, अभिनंदन के पोस्टर-बैनर राजनीतिक सहभागिता बयां कर रहे है । चुनाव से पहले आने वाले सभी तीज त्योहारों में भी राजनीतिक दलों ने खुले मन से सहभागिता निभाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।

गणेशविसर्जन झांकी में लगने वाले झांकी स्वागत मंच में भी अनुमानों के मुकाबले बढ़ोत्तरी हुई है। जिन-जिन मार्गों से झांकी निकलने वाली है, वहां दो दिन पहले से ही स्वागत मंच तैयार होने लगे थे। इससे लगता है कि इस बार का विधानसभा चुनाव पूरी तरह गणेशोत्सव-दुर्गोत्सव पर केंद्रीत रहेगा। जिन्हें टिकट मिलने वाली है और जो दावेदार है, समाजसेवा के रास्ते धर्म के रथ में सवार होकर चुनाव मैदान में उतरने वाले है।

इसी का फायदा उठाते हुए प्रमुख पंडालों के साथ गली मोहल्लों के छुटभैया नेताओं सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से स्वेच्छा अनुदान लेकर जमकर 10 दिवसीय गणेशोत्सव मनाया। अब दुर्गोत्सव की तैयारी शुरु हो गई है।

जहां -जहां दुर्गा पंडाल बन रहे है वहां-वहां नेताओं के बैनर पोस्टर अभी से टंग गए है। दुर्गोत्सव के बाद दीपावली के समय चुनाव भी होना है। इस बार मतदाताओ्ं ने गणेश उत्सव में पूजा-हवन-भंडारा को देखकर राजनीतिक दलों से दिवाली पर बड़े सौगात मिलने की उम्मीद लगा रखी है। चुनाव से पहले और चुनाव के समय जो राजनीतिक पार्टी गणेशोत्सव के बाद दुर्गोत्सव में भरपूर चंदा देगी उसकी तो निकल पड़ेगी। मतदाताओं के सबसे करीब पहुंचने का यही सबसे आसान रास्ता है, जहां से सत्ता के लिए रास्ते निकलते है।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटरयूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्रामकू
 पर