राजनांदगांव। हाईकोर्ट ने घोरदा पत्थर खदान की वैधता,दस्तावेज संबंधी शिकायत को झूठा करार दिया है। ग्रामीणों के शिकायत और आरोप को संचालक ने बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि घोरदा पत्थर खदान की लीज अवधी शासन की ओर से 2038 तक बढ़ा दी गई है। खनिज संबंधित सभी कागजात हैं ,कहीं कोई अवैध कार्य नहीं किया जा रहा है।

संचालक का कहना है कि गांव के कुछ लोग जबरदस्ती खदान को अवैध करार देकर झूठी शिकायत शासन-प्रशासन को कर रहे हैं जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है साथ ही खदान को बंद करवाने की पुरजोर कोशिश की जा रही है।

उन्होंने बताया कि खदान का संचालन ग्राम घोरदा में सन् 1980 से किया जा रहा है एवं खनिज निकासी और खदान संचालन के लिए शासकीय भूमि खसरा नंबर 378 के भाग का कच्चे मार्ग आम रास्ता का उपयोग किया जाता आ रहा है जिसका उपयोग ग्राम के अन्य किसान भी करते आ रहे ।

ग्राम के कुछ असामाजिक तत्व द्वारा गाँव में लोगो को गुमराह किया जा रहा है और खदान के आने जाने हेतु शासकीय भूमि 378 आम कच्चा रास्ता को खोद दिया गया है और खनन संक्रिया बंद करवा दी गई जो की उच्च न्यायालय के आदेश की अवेहलना की गई है।

जिसके परिपेक्ष में मान न्यायालय में कंटेम्प्ट पटेशन दायर किया गया है। पूर्व में भी ग्रामीणों द्वारा झूठी शिकायत की गई थी। न्यायालय ने शिकायतों को झूठा करार दिया और न्याय करते हुए खदान के पक्ष में फ़ैसला सुनाया।

खदान संचालक के मुताबिक वे शुरू से ही घोरदा के ग्रामीणों की मदद करते आए हैं। खदान संचालन होने से गांव के लोगों को ही रोजगार मिलता रहा है। वर्तमान में भी यदि किसी प्रकार की दिक्कत है तो उसे आपस में बैठकर सुलझाया जा सकता है। इस तरह बेबुनियाद आरोप लगाकर वह अपना और हमारा समय बर्बाद कर रहे हैं।

गौरतलब है कि घोरदा में संचालित खदान को लेकर ग्रामीण आए दिन प्रशासन से झूठी शिकायत कर खदान को बंद कराने की मांग करते हैं। लेकिन सभी दस्तावेज और विभिन्न न्यायालयीन आदेश ने खदान संचालन को वैध करार दिया है साथ ही माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा भी खदान के पक्ष में स्थगन आदेश दिया गया।

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