Navratri 2023

रायपुर। 15 अक्टूबर, आज से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। नवरात्रि के पहले दिन आज मां शैलपुत्री की पूजा होती है। हिमालयराज की पुत्री मां शैलपुत्री हैं। माँ शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता है। इनके जाप से व्यक्ति में धैर्य और इच्छाशक्ति की वृद्धि होती है। मां शैलपुत्री अपने मस्तक पर अर्द्ध चंद्र धारण करती हैं। वहीं इनकी पूजा और मंत्र जाप से चंद्रमा संबंधित दोष भी समाप्त हो जाते हैं। चंद्रमा मनुष्य के मन को दर्शाता है और इसका प्रभाव पूर्णतया हमारी सोच पर पड़ता है।

जानें शुभ मुहूर्त

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त पहले दिन ही घटस्थापना का सबसे शुभ समय माना गया है। इस बार 15 अक्टूबर 2023 को सुबह 5 बजकर 41 मिनट से लेकर 11 बजकर 56 मिनट तक कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त बन रहा है। साथ ही सुबह 11 बजकर 9 मिनट से लेकर 11 बजकर 56 मिनट तक कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त बनेगा।

माँ शैलपुत्री की पूजा विधि

नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना के बाद माँ शैलपुत्री की पूजा करते हैं। माँ शैलपुत्री की पूजा करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दैनिक कार्यों से निवृत होकर स्नान-ध्यान कर लें।वहीं अपने पूजाघर की साफ-सफाई करें। फिर पूजाघर में एक चौकी स्थापित करें और उस पर गंगाजल छिड़क दें। चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर माता के सभी स्वरूपों को स्थापित करें। अब आप माँ शैलपुत्री की वंदना करते हुए व्रत का संकल्प लें। माता रानी को अक्षत्, धूप, दीप, फूल, फल, मिठाई, नैवेद्य आदि अर्पित करें। मनोकामना पूर्ति के लिए माँ शैलपुत्री को कनेर पुष्प चढ़ाएं और उनको गाय के घी का भोग लगाएं। पूजा के दौरान माँ शैलपुत्री के मंत्रों का उच्चारण करें। आखिर में घी का दीपक जलाएं और माता की आरती करें। यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा का दोष है या चंद्रमा कमजोर है तो आप माँ शैलपुत्री की पूजा जरूर करें। इससे सही प्रकार के दोष शांत होते है।

माँ शैलपुत्री का प्रिय भोग

नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री को गाय के दूध से बनी मिठाई का भोग लगा सकते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गाय के घी का भोग लगाने से रोगों से छुटकारा मिलता है। माँ शैलपुत्री को दूध, शहद, घी, फल और नारियल का भोग लगाना बेहद शुभ माना जाता है।

माँ शैलपुत्री के फ़लप्रद मंत्र

ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

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