टीआरपी डेस्क। नवरात्रि के पावन पर्व में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस बार शारदीय नवरात्रि का आरंभ 15 अक्टूबर से शुरू हो चुके हैं, जो 24 अक्टूबर तक चलेंगे। दुर्गा माता का रूप मानी जाती है चंद्रघंटा माता। नवरात्रि का तीसरा दिन माता चंद्रघंटा को समर्पित है। पूरे विधि-विधान से माता चंद्रघंटा की उपासना करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

मां चंद्रघंटा का स्वरूप-

माता का तीसरा रूप मां चंद्रघंटा शेर पर सवार हैं। दस हाथों में कमल और कमडंल के अलावा अस्त-शस्त्र हैं। माथे पर बना आधा चांद इनकी पहचान है। इस अर्ध चांद की वजह के इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।

पूजन मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त -04:27 ए एम से 05: ए एम
प्रातः सन्ध्या- 04:52 ए एम से 06:07 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:29 ए एम से 12: पी एम
विजय मुहूर्त- 01:47 पी एम से 02:33 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05:37 पी एम से 06:02 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 05:37 पी एम से 06:52 पी एम
अमृत काल- 11:23 ए एम से 01:02 ए एम

चंद्रघंटा मां का पसंदीदा रंग- लाल
चंद्रघंटा मां का पसंदीदा फूल- गुलाब और कमल
चंद्रघंटा मां का पसंदीदा भोग- दूध की खीर, दूध से बनी मिठाई

पूजा-विधि

1- सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर साफ करें
2- दुर्गा माता का गंगाजल से अभिषेक करें।
3- मैया को अक्षत, लाल चंदन, चुनरी, सफेद और लाल पुष्प अर्पित करें।
4- सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक कर फल, फूल और तिलक लगाएं।
5- प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
6- घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं
7- दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें
8 – फिर पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रख माता की आरती करें।
9 – अंत में क्षमा प्रार्थना करें।

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