रायपुर। विधानसभा चुनाव 2018 में छत्‍तीसगढ़ की 15 सीटें ऐसी थीं, जहां हार-जीत का अंतर 5,000 वोटों से कम था। इनमें कुछ सीटों में तो यह अंतर 1,500 से नीचे भी रहा। कोंडागांव सीट की ही बात करें तो कांग्रेस के मोहनलाल मरकाम ने भाजपा की पूर्व मंत्री लता उसेंडी को महज 1,700 वोटों से हराया था। धमतरी में भाजपा की रंजना साहू ने कांग्रेस के गुरुमुख सिंह होरा पर मात्र 464 वोटों से जीत हासिल की थी। खैरागढ़ में स्व. देवव्रत सिंह ने 870 वोटों से विजयश्री पाई थी। इन सीटों पर चुनावी समीकरण इस बार भी काफी दिलचस्प होने वाला है। यही कारण है कि दोनों दलों के प्रत्याशियों ने अभी से मोर्चा संभाल लिया है।

तीन सीटों पर फिर से होंगे आमने-सामने

बता दे कि 15 सीटों पर जीत का अंतर पांच हजार वोटों से कम रहा। उनमें तीन सीटों पर प्रतिद्वंदी दोबारा आमने-सामने होंगे। कोंडागांव सीट से मोहन मरकाम बनाम लता उसेंडी, नारायणपुर सीट से चंदन कश्यप और केदार कश्यप और भिलाई नगर से देवेंद्र यादव और प्रेम प्रकाश पांडेय के बीच मुकाबला होगा। इसके साथ ही पामगढ़ में कांग्रेस ने गोरेलाल बर्मन के स्थान पर इस बार शेषराज हरबंश को मौका दिया है।

दिया भाजपा ने हरे हुए विधायकों दोबारा मौका

बीजेपी के पुराने प्रत्याशी जो काफी कम अंतर से हारे थे उन्हें भाजपा ने दोबारा मौका दिया है। इनमें धमतरी से रंजना साहू,मनेंद्रगढ़ से श्याम बिहारी जायसवाल आदि शामिल हैं। हालांकि कुनकुरी से भरत साई के स्थान पर विष्णुदेव साय को प्रत्याशी बनाया गया है।

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