मुंगेली: बिलासपुर संभाग के मुंगेली जिले में ढ़ाई विधानसभा सीटें है. इस जिले में मुंगेली, लोरमी और बिल्हा विधानसभा का आधा हिस्सा आता है. मुंगेली विधानसभा सीट छत्तीसगढ़ की सबसे वीआईपी और हॉट विधानसभा सीट मानी जाती है. ये सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इसे बीजेपी का अभेद किला कहा जाता है. वर्तमान में यहां से भाजपा के पुन्नूलाल मोहले विधायक हैं.

तहसील से जिला बनने तक का सफर:

मुंगेली को साल 1860 में तहसील का दर्जा मिला था. हालांकि अविभाजित बिलासपुर जिले का हिस्सा रहा मुंगेली साल 2012 से अस्तित्व में आया. इस तरह मुंगेली को तहसील से जिला बनने 142 साल लग गए. ये विधानसभा सीट प्राकृतिक रुप से समृद्ध है. पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अपने कार्यकाल में प्रदेश की सबसे बड़ी तहसीलों में से एक मुंगेली को जिला बनाया. अनुसूचित जाति, जनजाति बाहुल्य मुंगेली विकास की दृष्टि से काफी पिछड़ा माना जाता है.

मुंगेली विधानसभा सीट को जानिए:

इस सीट से साल 2008 से 2018 तक लगातार तीन बार बीजेपी के पुन्नूलाल मोहले चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे. कांग्रेस अब तक पुन्नूलाल मोहले का तोड़ नहीं निकाल पाई है. साल 2018 में कांग्रेस की ऐसी आंधी चली कि पिछले 15 सालों से सत्ता पर काबिज बीजेपी महज 15 सीटों पर सिमट गई. इसके बावजूद मुंगेली में भाजपा के पुन्नूलाल मोहले ने जीत का परचम लहराया.

मुंगेली विधानसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या:

  • कुल मतदाताओं की संख्या – 2,38,000
  • पुरुष मतदाताओं की संख्या – 1,22,095
  • महिला मतदाताओं की संख्या -1,16,184
  • थर्ड जेंडर वोटरों की संख्या 5 है.

मुंगेली विधानसभा सीट पर मतदाताओं की संख्यामुंगेली विधानसभा के प्रमुख मुद्दे एवं समस्याएं:

मुंगेली विधानसभा सीट पर पिछले डेढ़ दशक से भाजपा का राज रहा है. लेकिन क्षेत्र में फैली अव्यवस्थाएं इस बार भाजपा को मुश्किल में डालती दिख रही है. प्रदेश के पिछड़े क्षेत्रों में शुमार मुंगेली अनुसूचित जाति, जनजाति बाहुल्य क्षेत्र है. ऐसे में किसी भी पार्टी की जीत और हार इन्हीं के मतों पर निर्भर करती है. जनता से क्षेत्र के विकास के वादे कर मुंगेली को अपने कब्जे में लेने वाली भाजपा को लेकर अब जनता में कहीं न कहीं गुस्सा देखने को मिल रहा है. साल 2012 में भाजपा का शासन था. इसी साल मुंगेली जिला बना था. इसलिए भी यहां से भाजपा को जीत मिलती रही है. जिला बनने के बाद भी मुंगेली विकास के लिये तरस रहा है. कृषि के अलावा यहां रोजगार का कोई साधन नहीं है. यहां जिला अस्पताल और मातृ शिशु अस्पताल बनाये तो गए हैं, लेकिन वहां डॉक्टरों की कमी हैं. कई निर्माण कार्य अधूरे हैं.सड़कें यहां जर्जर हालात में हैं. कई सड़कें गड्ढों में तब्दील हो चुकी है. शिक्षा के क्षेत्र में भी ये क्षेत्र काफी पिछड़ा हुआ है.

मुंगेली विधानसभा सीट की समस्याएंसाल 2018 के चुनाव की तस्वीर:

मुंगेली विधानसभा सीट पर साल 2018 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी. साल 2018 में मुंगेली में कुल 38 फीसद वोट पड़े थे.भाजपा के पुन्नूलाल मोहले ने कांग्रेस के राकेश पत्रे को 9 वोटों के मार्जिन से हराया था. बीजेपी के पुन्नूलाल मोहले को 60,469 वोट मिले थे. बीजेपी का वोट प्रतिशत 38 था. वहीं, कांग्रेस के राकेश पात्रे को 51,982 वोट मिले थे. कांग्रेस का वोट प्रतिशत 33 था.

विधानसभा चुनाव का परिणाममुंगेली विधानसभा सीट का जातीय समीकरण:

मुंगेली विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. यहां 42 फीसद अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं. वहीं, पिछड़े वर्ग की आबादी यहां 39 फीसद है. साथ ही अनुसूचित जनजाति यहां 2 फीसद है. सामान्य वर्ग की संख्या यहां 17 फीसद है. मुंगेली अनुसूचित जाति, जनजाति बाहुल्य क्षेत्र है. ऐसे में किसी भी पार्टी की जीत और हार इन्हीं के मतों पर निर्भर करती है. पिछले डेढ़ दशक से यहां भाजपा का कब्जा रहा है. यहां से भाजपा के कद्दावर नेता माने जाने वाले पुन्नू लाल मोहले को राजनीति के अजेय योद्धा कहा जाता है. पुन्नूलाल 6 बार विधायक और 4 बार सांसद रह चुके है. इस बार भी बीजेपी पुन्नूलाल मोहले पर ही दांव लगा सकती है.

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटरयूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्रामकू
 पर