0 जिला प्रशासन द्वारा निर्मित फैक्ट्री में आग से 20 लाख तक के कपड़े खाक
0 घटनास्थल के पास ही एक ग्रामीण की भी हुई है हत्या

बीजापुर। छत्‍तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से एक दिन पहले बीजापुर जिले में एक बड़ी घटना घटी है। खबरों के मुताबिक बीजापुर के पास गारमेंट फैक्ट्री में आग लगा दी गई। हालांकि पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि आगजनी की इस घटना को शरारती तत्वों द्वारा अंजाम दिया गया, ऐसा प्रतीत हो रहा है। आग किन कारणों से लगी, इसकी जांच की जा रही है। यह आग शार्ट सर्किट की वजह से लगी है या फिर इस घटना के पीछे किन्ही शरारती तत्वों का हाथ है, साक्ष्यों के आधार पर इसकी जांच करने की बात पुलिस कह रही है।

प्रशासनिक क्षेत्र के पास ही स्थित है फैक्ट्री

बता दें कि जिस फैक्ट्री में आग लगी है, वो कलेक्टर निवास एवंं सीआरपीएफ के डीआईजी कार्यालय से महज एक किलोमीटर से दूरी पर ही स्थित है। कल याने रविवार को देर शाम 8- 9 बजे के आसपास गारमेंट फैक्ट्री में आग की खबर से अफरा – तफरी मच गई। हालांकि इस आग पर दमकल कर्मियों द्वारा काबू पा लिया गया।

20 लाख के कपड़े खाक, मशीनें सुरक्षित

एसपी आंजनेय वार्ष्णेय ने बताया कि इस घटना से तकऱीबन 20 लाख तक के कपड़े जल गए है। हालांकि फैक्ट्री के अंदर रखें हुए मशीन सुरक्षित है और इस घटना में किसी व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।

चुनाव के ठीक पहले हुई वारदात

बतादें कि बस्‍तर संभाग सहित बीजापुर में 7 नवंबर को मतदान होना है। चुनाव आयोग ने मतदान को लेकर तैयारी पूरी कर ली है। सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। ठीक इससे पहले फैक्ट्री में आगजनी की वारदात हो गई।

नक्सल पीड़ित महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की थी पहल

बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल ही में ईटपाल स्थित बीजापुर गारमेंट फैक्ट्री का लोकार्पण किया था। इस अवसर पर उन्होंने गारमेंट फैक्ट्री में चल रहे कपड़ा निर्माण के कार्यों का निरीक्षण भी किया और यहां कार्यरत महिलाओं से बात की। इन महिलाओं में अधिकांश नक्सली हिंसा से पीड़ित महिलाएं थी, जिन्हें जिला प्रशासन ने इस गारमेंट फैक्ट्री में रोजगार दिया। मुख्यमंत्री ने इन महिलाओं के द्वारा तैयार कपड़ों की पहली खेप को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस फैक्ट्री का निर्माण लगभग 7 करोड़ की लगत से किया गया और यहां 100 से अधिक महिलाएं काम कर रही हैं।

देश के बड़े ब्रांड से अनुबंध

ग्रामीण महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शासन-प्रशासन द्वारा डीएमएफ मद से उक्त गारमेंट फेक्ट्री की स्थापना की गई है। एक परिकल्पना तैयार की गई थी कि यहां आदिवासी महिलाओं के द्वारा तैयार कपड़े देश के बड़े गारमेंट ब्रांड मिंत्रा, डिक्सी, मैक्स के शो रूम में भी बिकेंगे और ऑनलाइन साइट के माध्यम से इनकी सेलिंग की जाएगी। इससे खासकर नक्सल पीड़ित महिलाओं का आर्थिक विकास होगा, उनका भविष्य भी बेहतर होगा। मगर जिस तरह यहां आग लगी और लगभग 20 लाख के कपड़े जल गए हैं, उससे यहां काम करने वाली महिलाओं के सपने धूमिल होते नजर आ रहे हैं।

गड़बड़ी को छिपाने की साजिश तो नहीं

इस आगजनी को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि बीजापुर गारमेंट फेक्ट्री में की गई कथित गड़बड़ी को छुपाने के लिए आगजनी की सुनियाेजित घटना को अंजाम तो नहीं दिया गया है। बीजापुर पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार बीती रात अज्ञात असामाजिक तत्वों द्वारा गारमेंट फेक्ट्री में आगजनी की घटना को अंजाम दिया गया और फिर वे फरार हो गये, जिनकी तलाश की जा रही है।

पास ही मिली बाइक सवार की लाश

TRP न्यूज को बीजापुर के मीडिया सूत्रों से जानकारी मिली है कि जिस गारमेंट फैक्ट्री में आग लगी है, उससे कुछ ही दूरी पर एक व्यक्ति की लाश मिली है। लाश को देखकर हत्या की आशंका जताई जा रही है। मृतक की पहचान नहीं हो सकी, वहीं नजदीक ही जो बाइक मिली है, उस पर दंतेवाड़ा का नंबर होना बताया जा रहा है। बीजापुर पुलिस ने इस घटना के बारे में कुछ भी खुलासा नहीं किया है और जांच की बात कह रही है।

नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में जिस तरह एक के बाद एक हत्याएं और सार्वजनिक सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचने की घटनाएं हो रही हैं उससे ऐसा लग रहा है कि नक्सली मतदान के बहिष्कार के लिए ग्रामीणों को चेता रहे हैं और डर फैला रहे हैं। हालांकि सेंट्रल फोर्सेस के जवान नक्सल प्रभावित इलाकों में सर्चिंग पर हैं, बावजूद इसके शहरी इलाके में भी आगजनी जैसी वारदात को अंजाम देकर लोग फरार हो रहे हैं, यह भी गंभीर बात है।