रायपुर। चुनाव के दौरान प्रत्याशियों ने त्योहारों को लेकर अपनी रणनीति बना ली है। छत्तीसगढ़ में पूरे पांच दिनों तक त्योहार मनाया जाता है। इसमें दीवाली, गोवर्धन पूजा, गौरा-गौरी पूजा, भाई दूज, मातर शामिल हैं। सभी त्योहार में बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं। प्रत्याशियों के पास मतदाताओं को एक साथ साधने के अवसर को भुनाने की योजना तैयार है। प्रत्याशी गांव-गांव और शहरों में लोगों से मिलकर शुभकामनाएं देंगे। हालांकि प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी इसे भाषणबाजी और चुनावी सभा का रूप नहीं देंगे, लेकिन धर्म और परंपरा के जरिए अपने-अपने कार्यकाल में किए गए कार्यों का उल्लेख जरूर करने की रणनीति बनाई है।

पांच दिन की दीवाली, इंटरनेट मीडिया में दिखेगी झलक

छत्तीसगढ़ में पांच दिन की विशेष दीवाली मनाई जाती है। इंटरनेट मीडिया में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक त्योहार की झलकियां देखने को मिलेगी। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण व अर्धशहरी क्षेत्रों में दीवाली के दिन माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करने की परंपरा है। धनतेरस व नरक चौदस के बाद महालक्ष्मी की पूजा के साथ दीवाली की रात आदिवासी समुदाय द्वारा गौरा-गौरी की विशेष पूजा की जाती है।

इस पूजा-अर्चना में सभी समुदाय के लोग शामिल होते हैं। इसके अगले दिन गोवर्धन पूजा के दिन गो-वंश की विशेष पूजा-अर्चना कर उन्हें पकवान खिलाए जाते हैं। यादव समाज के लोग यहां गोठान में अपनी परंपराओं का निर्वहन करते हैं। इसके अगले दिन भाई-दूज व मातर मनाया जाता है। मातर, छत्तीसगढ़ के गोठानों में होने वाला विशेष पर्व है, जिसमें ग्राम के देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना के साथ ही विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

चुनावी प्रचार में 48 घंटे पहले आचार संहिता प्रभावी प्रदेश में दूसरे चरण का मतदान 17 नवंबर को है। 48 घंटे पहले यानि 15 नवंबर की शाम से प्रचार थम जाएगा। दीपावली के पांच दिनी उत्सव का समापन भी 15 नवंबर को होगा। इन्हीं तारीखों के बीच राजनीतिक पार्टियों व प्रत्याशियों ने भी गांव-गांव लोगों के बीच पहुंचने की रणनीति बनाई है। उल्लेखनीय है कि दूसरे चरण के 70 सीटों पर होने वाले चुनाव में कुल 958 प्रत्याशी मैदान पर हैं।

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