सतनामी समाज और सामान्य वर्ग के वोटर्स की संख्या कम

रायपुर। बीजेपी ने पाटन विधानसभा सीट पर सीएम भूपेश बघेल के भतीजे और बीजेपी से दुर्ग सांसद विजय बघेल को चुनावी मैदान में उतारा है। चाचा-भतीजा दोनों कुर्मी समाज से हैं और कुर्मी ओबीसी वर्ग से आते हैं, जिसकी इस क्षेत्र में बड़ी आबादी है। विधानसभा क्षेत्र में ओबीसी वोटर्स का दबदबा है। यहां साहू और कुर्मी वोटरों की संख्या सबसे अधिक है। ऐसे में इस जाति के लोग जिस भी उम्मीदवार को समर्थन देंगे उसकी जीत तय मानी जाती है।

इस सीट पर सतनामी समाज और सामान्य वर्ग के वोटर्स की संख्या कम है। पाटन के कुल मतदाता 2 लाख 10 हजार 840 हैं, जिनमें पुरुष मतदाता 1 लाख 4 हजार 700 हैं और महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 8 हजार 738 है। यहां की साक्षरता दर इस क्षेत्र में 92 प्रतिशत है। पाटन के अधिकांश मतदाताओं का कारोबार कृषि पर निर्भर है।

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की पाटन वीआईपी हाई प्रोफाइल सीट पर चुनावी लड़ाई काफी रोचक दिख रही है। इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेसके बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है। कांग्रेस से जहां सीएम भूपेश बघेल खुद चुनावी ताल ठोक रहे हैं, तो वहीं बीजेपी से सीएम भूपेश के भतीजे विजय बघेल चुनावी रण में हैं।

पाटन से चाचा-भतीजा (सीएम भूपेश बघेल और दुर्ग सांसद विजय बघेल) के चुनावी मुकाबले के बीच जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगाी (जेसीसीजे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी भी पाटन से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में उनके आने से चुनाव त्रिकोणीय हो चुका है। भूपेश बघेल को जहां तीसरी बार लगातार जीत हासिल करने की चुनौती है तो वहीं सांसद विजय बघेल की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। वो 2013 में मिली हार का बदला 2023 में लेना चाहते हैं।

यदि वे चुनाव जीत गए तो पार्टी में उनका कद और बढ़ जाएगी। दूसरी ओर अमित जोगी बीजेपी को फायदा और कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने में लगे हैं। इन सबके बीच तीन दिसंबर को मालूम चल जाएगा कि कौन पाटन का सरताज होगा।

माना जा रहा है कि इस बार का मुख्य मुकाबला चाचा और भतीजे के बीच होगा। विजय बघेल अभी दुर्ग लोकसभा सीट से सांसद हैं। इससे पहले भी चाचा और भतीजे के बीच मुकाबले हो चुके हैं। पाटन सीट से एक बार 2008 भतीजे विजय बघेल को जीत मिली है तो भूपेश बघेल को पांच बार यहां से चुनाव जीत चुके हैं। साल 2013 से वो लगातार दो बार से विधायक हैं। विजय बघेल साल 2019 में दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर सांसद बने। विजय बघेल ने अपनी राजनीति करियर की शुरुआत साल 2000 में की थी। 2000 में विजय बघेल भिलाई नगर परिषद का चुनाव स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में जीता। उसके बाद साल 2003 में राष्ट्रवादी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े पर हार का सामना करना पड़ा।

साल 2003 में चुनाव हारने के बाद विजय बघेल बीजेपी में शामिल हो गए। साल 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें पाटन विधानसभा सीट से उतारा। दूसरी ओर कांग्रेस की तरफ से भूपेश बघेल चुनाव मैदान में थे। इस चुनाव में विजय बघेल ने भूपेश बघेल करारी शिकस्त देते हुए हरा दिया। विजय बघेल पहली बार अपने चाचा भूपेश बघेल को चुनाव हराकर विधानसभा पहुंचे थे।

विजय बघेल बीजेपी सरकार में संसदीय सचिव भी रह चुके हैं। साल 2013 के चुनाव में बीजेपी ने विजय पर एक बार फिर भरोसा जताते हुए पाटन विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया। इस बार भूपेश बघेल ने उन्हें हराकर बदला ले लिया। इसके बाद साल 2018 में बीजेपी ने विजय बघेल को उम्मीदवार न बनाकर मोतीलाल साहू को टिकट दिया था, लेकिन मोतीलाल साहू को भी शिकस्त का सामना करना पड़ा।

2019 के लोकसभा चुनाव में विजय बघेल को दुर्ग लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था। दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से विजय बघेल ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिमा चंद्राकर को तीन लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से मात दी।

अमित जोगी के पास ‘सेफ’ सीट से जीतने के तीन विधानसभाओं के विकल्प थे। वह दो सीटों से भी चुनाव लड़ सकते थे, लेकिन उन्होंने पाटन से ही लड़ने का निर्णय लेकर इस चुनाव को काफी रोचक बना दिया है। प्रदेश के प्रथम सीएम अजीत जोगी परिवार का पाटन से खास लगाव और नाता रहा है। ऐसे में अमित जोगी ने इस बार पाटन में पिछले एक महीने में तीन बड़ी चुनावी सभाएं की हैं।

कौन रहेगा नफा और नुकसान में

पाटन विधानसभा सीट का सियासी समीकरण देखें तो अमित जोगी की यहां से चुनाव लड़ने पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। अमित जोगी के इस रणनीति के पीछे बहुत बड़े मायने निकाले जा रहे हैं। वो एक खास रणनीति के तहत चुनाव लड़ रहे हैं। वो चाहते तो मरवाही, कोटा या अन्य जगह से भी चुनाव लड़ सकते थे, लेकिन वो पाटन से चुनाव लड़ने का फैसला कर राज्य की कांग्रेस सरकार को घेरने का काम किया है।

ऐसे में यहां से कांग्रेस को नुकसान और बीजेपी को फायदा मिल सकता है। कांग्रेस के वोट बैंक प्रभावित होंगे। क्योंकि जोगी के चुनाव लड़ने से कांग्रेस के वोटर्स बंट जाएंगे जबकि बीजेपी को नुकसान कम फायदा ज्यादा हो सकता है। जेसीसीजे सीएम भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार की सीटों को कम करने की रणनीति के तहत काम कर रही है।

जेसीसीजे पार्टी सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही पहुंचा सकती है। कांग्रेस शुरू से ही आरोप लगा रही है कि जेसीसीजे बीजेपी की बी टीम के रूप में काम कर रही है। इस बार के चुनाव में अमित जोगी को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जेड कैटेगरी की सुरक्षा प्रदान की है। यह सुरक्षा आईबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) की थ्रेट रिपोर्ट के आधार पर दी गई है।

इस मामले में भी कांग्रेस जेसीसीजे को लेकर बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा था कि केंद्र की पीएम मोदी सरकार ने अमित जोगी को विशेष सुरक्षा व्यवस्था प्रदान कर बी टीम के रूप में काम करवा रही है, जबकि अमित जोगी इस मामले में बीजेपी और कांग्रेस दोनों पर बरसते हुए देखे गए। चुनावी सभा में कांग्रेस और बीजेपी दोनों सरकार की कमियां गिना रहे हैं।

कांग्रेस में विलय की तैयारी थी

अजीत जोगी के निधन के बाद उनकी पार्टी कांग्रेस में विलय करना चाहती थी। अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी ने कांग्रेस हाईकमान से इस बारे में बातचीत भी की थी। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चाएं थीं कि सोनिया गांधी की तरफ से सहमति भी मिल गई थी। कांग्रेस हाईकमान के राजी हो जाने के बाद भी स्टेट लीडरशिप ने इस विलय को नहीं होने दिया था।

इसके पीछे की वजह अमित जोगी बताए जाते हैं। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि पार्टी किसी भी हालत में अमित जोगी को कांग्रेस में शामिल नहीं करना चाहती थी। कयास ये भी कि लगााय जा रहा है कि अमित अब वही निजी बदला भूपेश से चुनावों में लेना चाहते हैं। अजीत जोगी के अलग पार्टी बना लेने के बाद रेणु जोगी लंबे समय तक कांग्रेस में बनी रही थीं। वह अपने रिश्ते गांधी परिवार से मानती रही हैं। 2018 में कोटा से कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होने के बाद उन्होंने कांग्रेस से नाता तोड़ा और जेसीसी के बैनर तले 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ा और 48,800 वोटों से जीत दर्ज की।

वर्ष 2008 में भाजपा प्रत्याशी विजय बघेल ने भूपेश को हराकर बीजेपी का खाता खुला था। भाजपा इस बार फिर इसी आधार पर विजय बघेल को चुनाव लड़ा रही है। उस समय कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने 90 विधानसभा सीटों में से 68 सीटों पर अपनी जीत दर्ज की थी । भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने थे। अब 2023 में पाटन में सीएम भूपेश को घेरने के लिए भाजपा और जेसीसीजे ने चक्रब्यूह रचा है, उसे भूपेश कैसे खंडित करते है यह तो 3 दिसंबर को खुलासा होगा।

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