चालान में नक्सलियों के सबसे बड़े नेता गणपति-राममना का नाम ही नहीं डाला गयाः विनोद वर्मा

रायपुर। झीरम घाटी हत्याकांड पूरे विश्व के लोकतंत्र के इतिहास में सबस बड़ा राजनैतिक हत्याकांड था। इस पूरे हत्याकांड की जांच NIA ने शुरू की थी। इस जांच में पता चला कि इनकी जांच में हत्याकांड के षड्यंत्र का बिंदु ही नहीं था।

झीरम घाटी हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। NIA की याचिका को खारिज कर दिया गया है। इस मामले में सीएम के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, विधानसभा चुनाव 2013 से ठीक पहले नक्सली हमला हुआ था. इस हमले में हमारे वरिष्ठ नेतागण और कार्यकर्ता समेत कुल 32 लोग शहीद हुए थे।

विनोद वर्मा ने कहा, हमारी सरकार आने के बाद एक एफ़आईआर दर्ज की गई थी। छत्तीसगढ़ पुलिस ने पूरे मामले की जांच शुरू की थी, जिसके बाद एनआईए ट्राइल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गई। सभी जगहों से इनकी याचिका खारिज कर दी गई है, जिसके बाद अब छत्तीसगढ़ पुलिस जांच कर पूरे षड्यंत्र का पर्दाफ़ाश करने वाली है।

उन्होंने कहा, NIA ने जांच का चालान पेश किया था. इनके दोनों ही चालान में नक्सलियों के सबसे बड़े नेता गणपति और राममना का नाम ही नहीं डाला गया था. इस राजनैतिक षड्यंत्र को धंडकरण समिति जैसी छोटी समिति नहीं कर सकती है।आख़िर किसको बचाने के लिए इनका नाम हटाया गया था। केंद्र सरकार किसको बचाने के लिए काम कर रही थी।

इस पूरे घटनाक्रम की सीबीआई जांच की बात डॉ. रमन सिंह ने की थी, लेकिन समय रहते सीबीआई ने पूरे मामले की जांच करने से इनकार कर दिया था, लेकिन फिर भी रमन सिंह ने पूरे मामले को छुपाए रखा था. सीबीआई जांच नहीं करेगी, इस बात को रमन सिंह को बताना चाहिए था।

परिवर्तन यात्रा में नहीं मिली पर्याप्त सुरक्षा

वर्मा ने आगे कहा, झीरम कांड की जांच के लिए आयोग का गठन किया गया है. इस जांच ने आयोग के दायरे में भी कई महत्वपूर्ण सवाल छोड़ दिए थे. इस आयोग के जांच बिंदु को सरकार तय करती है. हमारी सरकार आने के बाद हमने आयोग की जांच का दायरा बढ़ाया था, लेकिन नेता प्रतिपक्ष होते हुए धरमलाल कौशिक हाईकोर्ट जाते हैं और आयोग की जांच का दायरा नहीं बढ़ाने के लिए याचिका लगाते हैं।

आख़िर धरमलाल कौशिक किसके बोलने पर याचिका लगाई थी. डॉ. रमन सिंह की विकास यात्रा पर पर्याप्त बल दिए जाते हैं. इस पूरे यात्रा में हजारों पुलिस कर्मी तैनात थे, लेकिन कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में केवल 138 पुलिसकर्मी बस्तर जैसे घोर इलाके में लगाए गए थे, जबकि हमारे नेताओं को जेड प्लस सुरक्षा दी गई थी।

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